मेरे अंदर मेरे जैसा कोई पलता है हर पल उस के साथ मेरा युद्ध चलता है झूठ की शतरंज पे मैं कोई चाल चलता हूँ वो मेरा हमसाया बन कर मुझको रोकता है टोकता है तोड़ता है जोड़ता है बार बार उसका ख़याल खलता है …. हैरान परेशान होकर मेने उसको आजाद कर दिया और सोच लिया छोड़ो यार….. ये …