रीजक(रोजी-रोटी)बिखेर दी संसार में उसने हवा में उछाल के उसको इकठ्ठा करने के लिए भटकता रहा सूखे पते की तरह मेरा जीवन ……….. आज देर रात घर लौटा हूँ बड़े दिनों बाद वो भी खाली जेब खाली हाथ जानता हूँ मैं की ……. कुछ कमाई ऐसी भी होती है जो सिर्फ मिलती है परखने के बाद या दुनिया में ना …