हम सब का दोस्त, Rajesh Hakku …
सुनो ……
अब मैं जब आऊँगा बस
याद ही आऊँगा…..
निराशा को आशा में बदलने वाला शक़्स, जिंदगी को जिंदा दिली की तरह जीने की सीख देने वाला शक़्स पल में ही आज के दिन हमसे दूर चला गया था डबवाली शहर की हर गली, मुहल्ले, बाजार व हर उम्र के व्यक्ति से दोस्ती निभाने वाला दोस्त राजेश कुमार हाकू का यूँ जाना किसी भी शहरवासी को गवारा नहीं क्योंकि वह जीवन की मूलभूत सुविधांए प्रदान करने वाला सुविधा बाजार एवं डिर्पाटमेंटल स्टोर का ही मालिक नहीं था अपितु हर उम्र के ग्राहकों एवं मित्रों के उमंग उत्साह एव खुशियों के डिर्पाटमेंटल स्टोर का मालिक था जहां जीवन के हर दर्द की दवा मुफत में हंसी खुशी से मिलती थी। वह अपने चिरपरिचित अंदाज में सभी से एक सवाल अक्सर करता था कि जिंदगी क्या चीज़ है? सबको दुआएँ देता था कि ज्योंदे वसदे रहो, पीछे मुड़ कर मत देखो, वाहेगुरू भला करेगा।
डबवाली की हर संस्था के उत्थान के लिए उसकी हर तरह की मदद करना वह अपना कर्त्तव्य समझते थे। जयश्री राम नगर नाट्यशाला के वे प्रधान रहे और रामलीला के हर कलाकार की हौंसला फजाई में सर्वस्व न्यौछावर करना पिछले लगभग 10 वर्षों से उनके जीवन का आधार बन गया था। डबवाली शहर में एकता नगरी के नामकरण तथा विकास में उनकी अहम् भूमिका रही। शिशु कल्ब एकता नगरी के माध्यम बच्चों में संस्कार भरने का कार्य भी उन्होंने तन्मयता से किया।
नगर की सामाजिक संस्था वच्युस कल्ब के सचिव एवं पीआरओ के पद पर कार्य करते हुए शहर को कला और साहित्य की विभिन्न विभूतियों से मिलवाया तथा शहर के कलाकारों को मंच प्रदान कर उनकी कला को विकसित करने का कार्य किया। डबवाली में हास्य कवि सम्मेलन, रफी नाइट, मुकेश नाइट, किशोर नाइट, नाटक महोत्त्सव, मुशायरा जैसे अनेकों कार्यक्रमों के आयोजन में उन्होंने बाखूबी मार्गदर्शन किया व तन-मन-धन से सेवा की। अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में उन्होंने विशेषकर माताओं बहिनों के लिए हर व्रत त्यौहार पर स्वच्छ व स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर एक अनूठी पहल की व परम्परा स्थापित की।संघर्षमय जीवन के आदि राजेश हाकू अपने चेहरे पर हर पल मुस्कान रखते थे और बचपन से ही अपने मन की बात को अपने लेखनी के माध्यम से अपनी डायरी में, फेसबुक व व्हाट्सअप पर अपने मित्रों से सांझा करते थे और उनकी बातों से प्रेरित होकर हर कोई उनका दीवाना हुए बिना नहीं रहता था। उनकी अनेकों बातों में से उनकी यह बात हम सब को इंगित करती है जैसे वे स्वयं सब कुछ पहले ही जान गए थे:
‘‘मुझे कहाँ मालूम था कि
सुख और उम्र की आपस में बनती नहीं।
कड़ी मेहनत के बाद सुख को घर ले आया
और उम्र नाराज़ होकर चली गई।।’’
भले ही इतिहास में दोस्ती की अनेकों उदाहरण अंकित हैं परन्तु डबवाली के इतिहास में राजेश हाकू सबसे अटूट मित्रता रखने वाला एक शक़्स सदैव याद रहेगा ……एक याद हर दिल मे सम्मान
जीना किसे कहते है जिंदगी क्या है
…तुम बिन ..
आज कुछ कमी सी है तुम बिन
ना रंग है ना रोशनी है तुम बिन
वक्त अपनी रफ्तार से चल रहा है
बस धड़कन थमी सी है तुम बिन
ना बारिश है ना धुअॉं है
फिर भी दिल में तपिश है तुम बिन
बहुत रोका है बादलों को बरसने से
फिर भी अॉंखों में नमी सी है तुम बिन
मित्र राजेश हाकु….तुम बिन….
14 अगस्त …एक तारीख
वो रात बहुत गहरी थी …shaad।।