
डॉक्टर भीकहते हैं कि आप सात दिन तक बिलकुल नहीं हंसे तो कमजोर हो जाएंगे। हंसना हमारे मनुष्य होने का सबूत है, क्योंकि अकेला मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो हंस सकता है। भरपूर हंसी चेहरे के स्नायुओं, श्वास के परदे और पेट को व्यायाम देते हैं।
इससे दिल की धड़कन और रक्तचाप बढ़ता है, सांस तेज और गहरी होती है और खून में प्राण वायु दौड़ने लगता है। एक ठहाकेदार हंसी उतनी ही कैलोरी जला सकती है जितना कि तेज चलना।
ओशो ने भी हास्य को असाधारण महत्व दिया है और उनके प्रवचन चुटकुलों और लतीफों से सराबोर होते हैं। वे कहते हैं गंभीरता एक बीमारी है। हास्य में अद्भुत क्षमता है-स्वास्थ्य प्रदान करने की और ध्यान में डुबाने की भी। मन के वे हिस्से जो सोए पड़े थे, अनायास जाग उठते हैं। हंसने वाले लोग आत्महत्या नहीं करते, उन्हें दिल के दौरे नहीं पड़ते। यदि बीमारी के दौरान हंस सको तो जल्दी स्वस्थ हो जाओगे और अगर स्वस्थ रहकर भी नहीं हंस पाए तो शीघ्र ही बीमारी घेर लेगी। लेकिन हंसने के लिए सेन्स ऑफ ह्यूमर होना बहुत जरूरी है, नहीं तो हंसना दूसरों की फजीहत तक सीमित रह जाएगा।
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