
हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन, सिरसा द्वारा संचालित हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच के तत्वावधान में दिनांक 31.10.2021 को लघुकथा पाठ, लोकार्पण एवं सम्मान समारोह का आयोजन स्थानीय श्री युवक साहित्य सदन में किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राजकीय नेशनल महाविद्यालय, सिरसा के पूर्व प्राचार्य डॉ० प्रेम कम्बोज ने शिरकत की जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार एवं समाजसेवी श्री मानकचन्द जैन ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में राजकीय बहुतकनीकी, सिरसा के पूर्व प्राध्यापक प्रो० संजीव कालड़ा उपस्थित थे।
सर्वप्रथम लघुकथा मंच के संरक्षक एवं मुख्य संयोजक प्रो० रूप देवगुण ने हरियाणा, पंजाब व राजस्थान से आए हुए लघुकथाकारों, समीक्षकों, मंचासीन अतिथियों व स्थानीय श्रोताओं का स्वागत किया तथा संयोजक डॉ० शील कौशिक ने सन् 2020 में हरियाणा के लघुकथा कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम का मंच संचालन संयोजक डॉ० शील कौशिक व सह संयोजक हरीश सेठी ‘झिलमिल’ ने संयुक्त रूप से किया। लघुकथा विमर्श में डॉ० रामकुमार घोटड़ ने ‘लघुकथा में सुधार की आवश्यकता’ पर अपने विचार प्रस्तुत किए। लोकार्पण कार्यक्रम में डॉ० रामकुमार घोटड़ की ‘विभाजन त्रासदी की लघुकथाएं’ तथा ‘हिन्दीतर लघुकथाएं’, डॉ० शील कौशिक की ‘छूटा हुआ सामान’, डॉ० रमाकांता की ‘हरियाणा के नौ लघुकथाकारों की चुनिंदा लघुकथाओं की समीक्षा’, श्री सुरेश बरनवाल की ‘यह शहर फिर नहीं बस सकता’, श्री लाजपतराय गर्ग की ‘प्यार के इन्द्रधनुष’ व डॉ० हरीशचन्द्र झंडई के ‘स्पंदनों के स्वर’ के संग्रहों व संकलनों का विमोचन हुआ। इस अवसर पर लघुकथा सेवी सम्मान-2021 में डॉ० हरीशचन्द्र झंडई, डॉ० रमाकांता, श्री सतप्रकाश गुप्ता, रामफल गौड़, मधु गोयल, प्रो० हरभगवान चावला व सुरेश बरनवाल को सम्मानित किया गया।
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कार्यक्रम में सर्वश्री डॉ० रामकुमार घोटड़, सुभाष सलूजा, प्रवीण पारीक ‘अंशु’, डॉ० हरीशचन्द्र झंडई, हरभगवान चावला, लाजपतराय गर्ग, डॉ० रमाकांता, सतप्रकाश गुप्ता, रामफल गौड़, सुरेश बरनवाल, जगदीश राय कुलरियां, वीरेन्द्र भाटिया, प्रो० रूप देवगुण, डॉ० शील कौशिक, जनकराज शर्मा, मधु गोयल, डॉ० मेजर शक्तिराज, कृष्ण कायत, हरीश सेठी ‘झिलमिल’, योगराज प्रभाकर, सुरजीत सिरडी ने लघुकथा पाठ किया तथा योगराज प्रभाकर व जगदीश राय कुलरियां ने इनकी लघुकथाओं की सारगर्भित व सटीक समीक्षा प्रस्तुत की।इस अवसर पर गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में डॉॅ० शील कौशिक ने सबके प्रति आभार प्रकट किया।