“हामिद का चिमटा”
अगर मुंशीं प्रेम चन्द की कहानी का किरदार नन्हा सा हामिद, भूखा प्यासा रहकर, और अपनी खुशियों को त्याग कर, अपनी दादी की परेशानी दूर करने के लिए अपना एक मात्र रुपया त्याग सकता है तो सोचिये आखिर क्यों आज हम अपनी आने वाली पीढ़ी को हामिद जैसी त्याग और स्नेह की कहानियों से दूर कर बच्चों को सिर्फ पाने की संस्कृति सिखा रहे हैं त्याग करने की नहीं !
जन्मदिन पर बच्चे को ये तो याद रहता है की मेरे को क्या क्या मिलेगा परन्तु उसके मन में डालना तो ये चाहिए की तू अपने इस ख़ास दिन पर किसी को क्या देगा
Shalini Joshi
November 21, 2020 at 4:34 pm
Great message :
The joy of giving is far more than the joy of receiving .
Through this art of story narration , we need to bring awareness amongst the present generation about significance of our culture .