प्रकृति
मेरे सपने में एक औरत,
बिजली जैसे कौंध रही।
मटमेले आंचल से अपने,
कालिख मुंह की पोंछ रही।।
नैनों से बहता निर्झर उसके,
खड़ी ज्यों मूरत मौन।
अनायास मैंने पूछ लिया,
हो आखिर तुम कौन?
मेरा प्रश्न सुनकर,
वो दावानल से जलने लगी।
रुंधे गले से फिर,
मुझे यूं कहने लगी।
उड़ेल दिया मैंने जिस पर
ममता का सागर अथाह,
वो कभी मुझे देख ही न सका।
पला बढ़ा वो गोद में जिसके,
आज उसी को पहचान न सका।
मेरे सौंदर्य का अब कोई,
तेरे लिए न मोल रहा।
छीन कर मेरी हरितिमा मुझसे,
तू स्याह दरिया में घोल रहा।।
तुम्हारी महत्वकांक्षाओं ने,
आंचल मेरा छेद दिया।
अब तो पहचान लो मुझको,
मैंने अपना भेद दिया।
:- रेखा सुथार ‘माधवप्रिया’
जीवन
प्रलय में उफनती नदी में
संहार को आतुर
उन लहरों के बीच,
मनु – हृदय में
जन्म लेने वाली
नव सृजन की वो प्रेरणा,
वही तो जीवन है।
किसी नवांकुर पर
पड़ी मिट्टी से जब,
समान हो जाती है
उसके जीवन – मरण की प्रायिकता,
तब उस बीज में उत्पन्न
वो उत्कट जिजीविषा,
वही तो जीवन है।
गहरे गर्त में गिरी
चींटी भी,
गिरती है जब उठ उठ कर,
तब उस कृशकाय में भी
उठती है जो उमंग उत्साह की,
वही तो जीवन है।
: रेखा सुथार ‘माधवप्रिया’
प्रेमानुभूति
माधव!
एक अविश्वसनीय सा भाव,
एक अदृश्य सा आकर्षण,
जो खींच रहा हो मुझे
निरंतर तुम्हारी ओर।
तुम्हारा ये प्रेमालिंगन,
मेरे उद्वेलित हृदय को,
आभास करवा रहा हो ज्यों
किसी रिक्तता में भी
पूर्णता का ।
मेरी अभिलाषाएं
सर्वस्व समर्पण को,
किसी योगी की इंद्रियों की भांति,
केंद्रित हो गई हो
एक बिंदु पर ।
विषय वासनाओं से परे
मेरा अंतर्मन,
निहार रहा है
तुम्हारे अनंत स्वरूप में छुपे
उस अद्वैत को।
द्वैत को भुला कर,
परम तत्व में
यूं एकाकार हो जाना।
क्या यही अनुभूति है
प्रेम की…..!!
:- रेखा सुथार (माधवप्रिया)
एक अभिलाषा
माधव…..!
लिखना चाहती हूं मैं
सदियां तुम पर,
जिसका आरंभ तुम्हीं से
हो अंत भी तुम पर।
लिखना चाहती हूं मैं
तुम्हें उन सब युगों में,
जो समा चुके है
तुम्हारे इन विशाल दृगों में।
लिखना चाहती हूं मैं
तुम्हें शून्य से अनन्त तक,
तुम्हारी कोटि सृष्टियों के
आदि से अंत तक।
लिखना चाहती हूं मैं
तुम्हें समस्त ब्रह्मांडों के मूल में,
पंचतत्वों से निर्मित
हर सूक्ष्म से स्थूल में।
लिखना चाहती हूं मैं
तुम्हें उस परमतत्व के रूप में,
विलीन होती हो असंख्य आत्माएं
जिस परमात्म स्वरूप में।
:- रेखा सुथार (माधवप्रिया)
Rekha
September 16, 2020 at 11:30 am
Thank you so much
Pramod Baghla
September 16, 2020 at 11:37 am
S
Pramod Baghla
September 16, 2020 at 11:45 am
शानदार
प्रमोद बाघला
September 16, 2020 at 11:54 am
शानदार …..जानदार
Rekha
September 16, 2020 at 1:56 pm
Thanks sir
मीनाक्षी आहुजा
September 16, 2020 at 12:37 pm
शानदार रचनाएं। बधाई माधवप्रिया जी।
Rekha
September 16, 2020 at 1:57 pm
Thanks ma’am