नया दिन आया है हर बात का जबाव देने के लिए ..
हम कितनी बाते करते है सुनते है हर बात नई बात को जन्म देती है लेकिन सोचना ये है की दिन भर में कितनी बाते की है वो कितनी जरुरी थी कितनी नहीं
सोचो अगर एक दिन के लिये सब कुछ शांत हो जाये हम कुछ न बोले सिर्फ अंदर चल रही कशमकश को रोकने की कोशिश करे न हमें कुछ दिखाया जाये न सुनाया जाये हमें सिर्फ अंदर का चिंतन किया जाये
तो सच सामने आ जायेगा की हम क्या है
खुद की नजर में ……..
बहुत कुछ हमसे ऐसा हो जाता है जिसका हमे पता नही होता कि हम ऐसा क्यों कर रहे है ….
हर किसी के दो किरदार है और हर किसी का पहला किरदार आपने घर मे होता है दूसरा फेसबुक यानी संसार मे ..(ज़िन्दगी के सफर में कुछ पल आराम के आपने ही चहेरे से मिट्टी उतारने का प्रयास जो बहुत मुश्किल है क्योंकि ये अंदर की बात है)
ज़िन्दगी जिन्दाबाद ।।
#sajnivv Sanjivv Shaad
Check Also
सख़्त राहों में आसां सफर लगता है ये मेरी मां की दुआओं का असर लगता है- डॉ वेदप्रकाश भारती
मां ममता की मूर्त है और त्याग और तप की देवी है, मां की ममता में कोई मिलावट नहीं होत…