
सिरसा। चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा राष्ट्रीय प्रेस दिवस की पूर्व संध्या पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में देशभर से प्रतिभगियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। वेबिनार में राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के पूर्व प्रो. संजीव भानावत ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि लोकतंत्र में प्रेस की भूमिका अहम होती है।
पत्रकारों के हितों की रक्षा करने तथा प्रेस की स्वतंत्रता के लिए भारतीय प्रेस परिषद का गठन 1966 में किया गया था और प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है ताकि पत्रकारिता के क्षेत्र में नए मानदंडों को को स्थापित किया जा सके।
प्रो. भानावत ने मीडिया काउंसिल बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आज समय की मांग है की मीडिया काउंसिल स्थापित की जाए। काउंसिल के अंतर्गत प्रिंट मीडिया के साथ साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा सोशल मीडिया को भी सम्मिलित किया जाए। लोकतंत्र में प्रेस चौथा स्तंभ है और भारतीय संविधान में वाक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान की गई है जिसके तहत प्रेस की स्वतंत्रता भी आती है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्र्ता की रक्षा के साथ-साथ उत्तरदायित्व भी आता है पत्रकारों को संस्थान तथा समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निर्वहन करना होता है। उन्होंने कहा कि तकनीक के विकास से सूचनाओं के लोकतांत्रिकरण तथा नागरिक पत्रकारिता को बढ़ावा मिला है। वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता विज्ञापन मॉडल पर आधारित है और इस विज्ञापन मॉडल को स्वालंबी मॉडल में परिवर्तित करना होगा ताकि समाचारों की पवित्रता को बरकरार रखा जा सके। ऐसा कर के तथ्यात्मक जानकारी पाठक तक और दर्शकों तक पहुंचाई जा सकेगी।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन नई दिल्ली के प्रो. राकेश गोस्वामी ने कहा कि पेंडेमिक के दौरान सूचनाओं के स्रोत सीमित हो गए थे लेकिन तकनीक की वजह से चीजें ठीक हुई और पत्रकारिता के स्वरूप में नए परिवर्तन देखने को मिले। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के आरंभिक दौर के दौरान पत्रकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपनी जान पर खेलकर विभिन्न सूचना न केवल एकत्रित की बल्कि लोगों को जागरूक करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। सोशल डिस्टेंसिंग की किस तरीके से अनुपालन करनी है, किस तरीके से मास्क पहनना है, हाथ किस प्रकार से धोने हैं,इस प्रकार की जानकारियां पत्रकारों द्वारा पाठकों तथा दर्शकों को प्रदान की गई। इस दौरान पत्रकारों को संक्रमण का भी खतरा था लेकिन पत्रकारों ने निर्भीक होकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया और समाज की सूचना संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति की। पटियाला से जुड़े आल इंडिया रेडियो के पूर्व निदेशक अमरजीत सिंह ने कहा कि 70 प्रतिशत जनसंख्या गांव के अंदर निवास करती है और उनकी सूचना संबंधी आवश्यकताओं को समझ कर मीडिया उद्योग को कार्य करना चाहिए। विभाग के अध्यक्ष डॉ. सेवा सिंह बाजवा ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। इस मौके पर डॉ. रविंद्र, डॉ. अमित सांगवान आदि मौजूद थे।