चलो घर लौट चले….
हर कोई घर में रहता है बहुत सोचते है यार अपना भी कोई घर हो …सपनो का घर लेकिन बदलते वक्त में घरों के नक्शे बदल रहे है शायद इसलिए पिता का बनाया घर पुत्र को कम ही पसंद आता है ….घर को देखना कभी देखना आपने कमरे को सहज भाव से गौर से की जो हमे आराम सुख वे चैन मिलता है वो दुनिया के किसी भी कौन में नही मिलता तभी तो कहता है अक्सर यार घर तो घर ही होता है…. घर ईंट से न दीवारों से घर तो बनता है घर वालो से कभी देखना घर के मुख्य दरवाजो पे घर का नाम भी लिखा होता है
इक वक्त था जब हम दरवाजे पे लिखा मिलता था जी आया नु या स्वागतम शुभ लाभ आजकल बहुत से दरवाजो पे लिखा मिलता है कुतो से सावधान….
खैर जो भी हो घर में खिड़कियां होती है दरवाजे होते है रोशनदान होते है और ….चहेरे भी होते जिन्हें हम अनेक रिश्तों का नाम देते है और कभी कभी रिश्तों के बीच खीची हुई दीवारे भी होती है इतनी बारीक़ जो दिखाई नही देती …तभी दूसरा घर बनता है
रोजी रोटी के बिखरे हुए दानों से देश परदेस की घरती पे भी मेहनत कश हाथों ने चौथी मंजिल पे घर बना दिया लेकिन फिर भी अपना पुराना घर शहर गली याद आती है
हो सके तो कभी फुर्सत में आपने घर को देखना लौट आना घर भी इंतजार करता है …उसे सजाना क्योकि कोई कितना सुन्दर घर बनायेगा रंग रोगन भी खूब करवाएगा जब रहने कोई न आएगा तो घर भर जायेगा मकड़ी के जालो से ….घर बनता है घर वालो से छुट्टियो में आपने बच्चो को पुराने घर जरूर लेकर जाना
रिश्तों से मिलवाने और सोचना कही घर गुम न हो जाये
आपने गम को लेकर कही और न जाया जाए
बस घर में बिखरी हुई चीजो को सजाया जाये
सब के घर आबाद रहे सबको घर याद रहे हर कोई
shaad (खुश) रहे……
Sanjiv आज आपने घर से