कल्प वृक्ष सी वह
उसे कभी खोना नहीं आता
वह रख लेती है छुपा कर
खुद ही के टुकड़े
जोड़ लेती है
आड़े वक्त में
बिखरी हिम्मत
टूटे सपने
खाली बोतलें
कब्बाडी को बेचने लायक समान
सहेज लेती है
अपनी बेटी की आंखों में
अपने ख़्वाब फिर से
अपने बेटे की उंगली पकड़ कर
घूम आना चाहती है
अनदेखा संसार
पर
ढलती उम्र में
बहू को सौंप देती है बेटा
और दामाद को बेटी
और समेट लेती है
खुद को पति की
कमज़ोर होती स्मृति में
उसके अनकहे प्रेम में
करती है सेवा ईश्वर मानकर
बना लेती है श्रद्धा से
पति की पसंद का हलवा
खुद शुगर की मरीज हो कर भी
चख लेती है प्रसाद समझ कर
खुद के लिए नही बनाती
कभी आलू का परांठा
लेकिन पोती मांग ले
तो झट से जवान हो उठती है
औरत मां होती है
कितना भी बिखरे
बीवी बन कर सिमट जाती है
औरत कितनी भी अकेली हो
अंदर से बिल्कुल टूटी हो
फिर भी अडिग खड़ी रहती है
अंतिम प्राण तक खुद को
झोंक देती है जीवन सृजन में
इतनी गुंथी हुई है जीवन में
फिर भी
हो जाती है झटके में मुक्त
जब मृत्यु का जश्न भी वह
पति से पहले मनाना चाहती है
क्योंकि
उसे खोना नहीं आता
वह समेट लेती है सब
अपने भीतर
बिना कुछ कहे
और
बांटती रहती है सब कुछ
कल्प वृक्ष बन कर।।।
©मीनाक्षी आहुजा
मीनाक्षी आहुजा
September 16, 2020 at 8:50 am
शुक्रिया भाई साहब। आपने रचना का चयन किया?
Deepika
September 16, 2020 at 9:41 am
Title is tempting…poem has emotional depth
मीनाक्षी आहुजा
September 17, 2020 at 10:58 am
आभार ?
Meenakshi Sethi Zaidi
September 16, 2020 at 11:02 am
नारी के जीवन का सही चित्रण किया है
त्याग का नाम ही नारी है??
Harish Aneja
September 16, 2020 at 11:28 am
Heart Touching..
सुनीता
September 16, 2020 at 6:48 pm
सही कहा, यही सब कुछ औरत के अस्तित्व का आईना है।
Rajesh Kamra
September 17, 2020 at 12:51 am
Overwhelming. Heart touching.
Gaurav balana
September 17, 2020 at 5:25 am
औरत के बलिदान प्यार समर्पण का अदभुत वर्ण।बेटी, बहिन ,पत्नी,बहू ,मां,हर भूमिका बखूबी निभाती अपने आस्तित्व को ही भूल जाती है औरत।
भावुक उम्दा रचना के लिए दीदी आपको बहुत बधाई
Vandana
September 17, 2020 at 10:49 am
Very heart touching poem dìiìii…very well done ??????
मीनाक्षी आहुजा
September 17, 2020 at 11:01 am
रचना पसंदगी के लिए हरीश जी, मीनाक्षी जी, गौरव भाई, राजेश कामरा जी, दीपिका जी और अन्य सभी का तहेदिल से आभार जिन्होंने इसे सराहा???