Home updates औकात….

औकात….

2 second read
6
0
4

विचार
संस्कार
अहसास
मिलने से घर बनता है ।
तुम मेरी जिंदगी का वो इकलौता सच हो
जिसके लिए मैने सारी दुनिया से झूठ कहा…
झूठ
फरेब
धोखा
बे इंसाफ
मिलने से इक दुनिया बनती है
तुम मेरी जिंदगी का इकलौता ख्बाव हो
जिसके लिए मेने सारी दुनिया का
ख्याल छोड़ दिया ……
मौन
इंतज़ार
वक्त
डर
मिलने से प्रेम बनता है
तुम मेरी जिंदगी का पहला प्रेम महोबत हो इबादत हो
जिसके लिए मैंने दुनिया का
आखरी प्रेम छोड़ दिया …….
उम्मीद
सपना
भाव
मिलने से विशवास बनता है
तुम मेरी जिंदगी में पहले इंसान हो
जिसमे रब दीखता है कल मिलने आया खुद खुदा मेने तेरी खतिर उस से मिलना छोड़ दिया
कलम
शब्द
अर्थ
कागज
मिलने से इक  कविता बनती है
तुम मेरी जिंदगी की गजल हो
गीत हो तेरी खातिर
मैने सब किस्से कहानियाँ को छोड़ दिया
दिन
रात
भूख
प्यास
मिलने इक इक भटकाव बनता है
तुम मेरी जिंदगी की इक अनभुझ पहेली हो
जिसके लिए खुद को समझना छोड़ दिया
न रंग
न रूप
न आकार
मिलने से निरंकार बनता है
तुम मेरी जिंदगी के करम हो
और करम देख के करोगे फैसला
इसलिए मैंने  जात और औकात अपनी छोड़ दी…..shaad

6 Comments

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-08-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा – 2066 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

    Reply

  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-08-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा – 2066 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

    Reply

  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-08-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा – 2066 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

    Reply

  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-08-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा – 2066 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

    Reply

  5. सुंदर । ब्लाग फौलोवर विजेट लगाइये ताकि ब्लाग पर छपने की खबर मिले ।

    Reply

  6. सुंदर । ब्लाग फौलोवर विजेट लगाइये ताकि ब्लाग पर छपने की खबर मिले ।

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

औकात….

2 second read
0
0
0

विचार
संस्कार
अहसास
मिलने से घर बनता है ।
तुम मेरी जिंदगी का वो इकलौता सच हो
जिसके लिए मैने सारी दुनिया से झूठ कहा…
झूठ
फरेब
धोखा
बे इंसाफ
मिलने से इक दुनिया बनती है
तुम मेरी जिंदगी का इकलौता ख्बाव हो
जिसके लिए मेने सारी दुनिया का
ख्याल छोड़ दिया ……
मौन
इंतज़ार
वक्त
डर
मिलने से प्रेम बनता है
तुम मेरी जिंदगी का पहला प्रेम महोबत हो इबादत हो
जिसके लिए मैंने दुनिया का
आखरी प्रेम छोड़ दिया …….
उम्मीद
सपना
भाव
मिलने से विशवास बनता है
तुम मेरी जिंदगी में पहले इंसान हो
जिसमे रब दीखता है कल मिलने आया खुद खुदा मेने तेरी खतिर उस से मिलना छोड़ दिया
कलम
शब्द
अर्थ
कागज
मिलने से इक  कविता बनती है
तुम मेरी जिंदगी की गजल हो
गीत हो तेरी खातिर
मैने सब किस्से कहानियाँ को छोड़ दिया
दिन
रात
भूख
प्यास
मिलने इक इक भटकाव बनता है
तुम मेरी जिंदगी की इक अनभुझ पहेली हो
जिसके लिए खुद को समझना छोड़ दिया
न रंग
न रूप
न आकार
मिलने से निरंकार बनता है
तुम मेरी जिंदगी के करम हो
और करम देख के करोगे फैसला
इसलिए मैंने  जात और औकात अपनी छोड़ दी…..shaad

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

Epaper 13 August 2021