बिरह के सुल्तान शिव कुमार बटालवी की आज पुण्यतिथि
तू विदा होया ता दिल ते उदासी छा गई…….शिव, सिआलकोट (पाकिस्तान) के गाँव बड़ा पिंड लोहतियाँ के पटवारी पंडित कृष्ण गोपाल के घर पैदा हुआ 23 जुलाई 1936 के दिन (अलबत्ता कुछ दस्तावेज़ उसे 7 अक्टूबर 1937 के दिन पैदा हुआ बताते हैं).। सन 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो उनका परिवार भारतीय पंजाब के गुरदास पुर जिले में आ गया बटाला में। पंडित कृष्ण गोपाल पटवारी हो गए। तब 11 साल का शिव उस उम्र में भी निकल जाता मंदिर की तरफ। घंटों-घंटों तक वो वहां एक बड़े पेड़ के इर्द गिर्द हरियाली देखता, गिलहरियों और मदारियों के पीछे भागता। पढने भेजा पिता जी ने पहले बटाला, फिर कादियां. फिर हिमाचल में बैजनाथ और फिर उसके बाद चंडीगढ़ भी। लेकिन शिव को कुछ और ही बनना, करना था।
जानने वाले आज भी बताते हैं कि कैसे वो चंडीगढ़ में (अब किरण सिनेमा के पास वाले) चौराहे पे लैम्प पोस्ट के नीचे रात-रात भर खड़ा कविताएँ गाता रहता। ‘पीडां दे परागे’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाला वो सब से कम उम्र का कवि था।तब शिव बटालवी की 28 साल की उम्र थी। इसके कोई सात साल बाद छोटी सी उम्र में आने वाली कई पीढ़ियों को पढ़ने, गाने और शोध के लिए बहुमूल्य साहित्य दे के शिव, शिव में समा गया। ‘मैनूं विदा करो’, ‘आट्टे दियां चिड़ियाँ’, ‘लूना’, ‘अलविदा’ और ‘बिरहा दा सुलतान’ उसकी अति लोकप्रिय पुस्तकें हैं। पंजाब में साहित्य का शायद ही कोई छात्र होगा जिसने उसे पढ़ा न हो। शायद ही कोई अखबार या पत्रिका जिसने उसे छापा न हो और शायद ही कोई गायक जिसने उसे गाया न हो।
जन्म: २३ ,जुलाई १९३६
मृत्यु: ७ मई १९७३ शत शत नमन tothepointshaad
ज़िन्दगी ज़िंदाबाद
Angrej singh saggu
May 6, 2021 at 3:25 pm
ਵਿਰਹੋਂ ਦੇ ਸੁਲਤਾਨ ਸ਼ਿਵ ਕੁਮਾਰ ਬਟਾਲਵੀ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਮਹਾਨ ਰੂਹ ਨੂੰ ਬੇਅੰਤ ਸਜ਼ਦਾ???, ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਪੇਸ਼ਕਾਰੀ ਸ਼ਾਦ ਸਾਹਿਬ