Home updates मुस्कराहट ही वर्तमान व साक्षी भाव है..वेद प्रकाश भारती

मुस्कराहट ही वर्तमान व साक्षी भाव है..वेद प्रकाश भारती

0 second read
0
0
4

मधुर मुस्कान
कोई आहट न सरसराहट है
जिंदगी सिर्फ मुस्कुराहट है
हंसी और खुशी, मुस्कान या मुस्कुराहट भगवान का दिया एक ऐसा अनमोल उपहार है जिससे आप दुनिया की बड़ी से बड़ी समस्या हल कर सकते हैं। ये बेशकीमती व बेमिसाल है और निःशुल्क दवा की तरह है क्योंकि मुस्कुराने के लिए प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती।आप बिना वजह भी मुस्कुरा सकते हैं। भागमभाग भरी जिंदगी में मुस्कुराने के अवसर ढूंढ लेने चाहिए।इस पर मेहनत भी नहीं लगती और मुस्कुराता चेहरा सब को अच्छा लगता है। चेहरे का नूर ही बदल जाता है।
मुस्कान हर दर्द छिपा लेती है खुशी की हर वजह बना देती है। नयी आशाओं का संचार करती है और तन मन में नयी ऊर्जा भरती है। चिंताओं से मुक्ति और नये हौंसलों को उड़ान देती है।याद रखें महिलाओं का सब से बड़ा हथियार उनकी मधुर मुस्कान होती है।
मुस्कुराहट एक औषधि की तरह है जो हर मर्ज़ का इलाज है। ये वास्तव में बांटने की चीज है और मित्र बनाने में भी सहायक है।
मुस्कुराहट हृदय की अभिव्यक्ति है, मुस्कुराहट दिल तक पहुंचने का सीधा मार्ग है। इसी लिए खुशमिजाज व्यक्ति हर दिल में अपना आशियाना बना लेता है।


मुस्कुराने से विचारों में पोजिटिविटी आती है यही मुस्कान हमारे दिमाग से नाकारात्मकता के कचरे को बाहर निकाल फेंकती है।ये प्रेम की शुरुआत करती है और खुशियों का संकेत देती है।
इसी मधुर और प्यारी सी मुस्कान पर लाखों लोग जान कुर्बान कर गए। इसी लिए कहा गया है कि सौंदर्य एक शक्ति है और मुस्कान एक तलवार।
बच्चे की हल्की सी और प्यारी सी मुस्कान देख कर पिता के दिन भर की थकान उतर जाती है। इसी तरह दिनभर का थका हारा चिंताओं का बोझ लिए पति जब घर पहुंचता है तो दरवाज़े पर खड़ी प्रतीक्षा करते पत्नी के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान की किरण देखता है तो दुनिया भर की चिंताओं से मुक्ति पा जाता है। मुस्कान चेहरे पर चार चांद ले आती है
मुस्कुराहट से लबरेज़ चेहरा आपके सारे तनाव को दूर कर देता है।
मुस्कुराहट से मांसपेशियों का व्यायाम भी होता है और चेहरे पर झुर्रियां भी नहीं पड़ती। सब कुछ खो जाने पर आपकी मुस्कुराहट आपके पास रहती है। मेरा मानना है कि आप एक बार दर्पण में देख कर आवश्य मुस्कुराएं।


आपके आसपास प्रकृति के वातावरण में, बाग बगीचों में खिले भांति-भांति के फूल,वन उपवन में पेड़ पौधे, नदियां नाले, ये पहाड़ ये झरने जितने भी रंग बिखरे हैं, ये कलाकृति प्रकृति की ही मुस्कान है।
आप भी मुस्कुराइए चाहे वो नकली ही क्यों न हो। मैं कल भी मुस्कुरा रहा था, मैं आज भी मुस्कुरा रहा हूं, मैं कल भी मुस्कुराता मिलूंगा।क्योंकि मेरे साथ सारी कायनात मुस्कुरा रही है।

वेदप्रकाश भारती
एन पी एस डबवाली

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

विद्यार्थियों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए वरच्युस ज्ञान कोष कार्यक्रम का आगाज -भव्य समारोह में 32 जरूरतमंद छात्राओं में निशुल्क पुस्तकों का किया वितरण

अभी उड़ना है ऊंचा पँखो को खोल के रख…. आज किताब दिवस पर डबवाली की प्रमुख सामाजिक संस्थ…