पम्मा………वार्निग फ़िल्म का एक किरदार …..प्रिंस कंवलजीत सिंह शहर कोटकपूरा पंजाब का निवासी चहेरे से मासूमियत, लेकिन आज पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री का केंद्र बिंदु बन गया है । रंगमंच का प्रिंसा से फिल्मो का पम्मा तक का सफर इस किरदार ने बड़ी शिद्दत से तय किया है। विलेन तर्ज की फिल्में भी दर्शको की हमदर्दी ले रही है।
पम्मा जैसे किरदार दुनिया मे आज से पहले भी थे जो वर्तमान हालात परस्थितियों की दल दल में झकडे हुए है और फिर आपने आकाओ के लिए कुछ भी कर सकते है उनकी कार्यशैली बड़ी ही शराफत से भरी होती है । लेकिन अंदर एक तूफान रखते है नफरत का ..आखरी क्या मजबूरी होती होगी हाथो में मैडल सर्टिफीकेट हो और फिर वक्त के फलसफे में उन्ही हाथो में हथियार आ जाते है ये सोचने का विषय नही बल्कि चिंतन का विषय है । किस तरह हमारी युवा पीढ़ी सियासत गैंगवार का शिकार हो जाती है और इस वन वे ट्राफिक में फंस जाते है ओर फ़िल्म का वही पुराना डायलॉग याद आता है जब खलनायक कहता है इस नगरी में हर कोई अपनी मर्जी से आ तो सकता है मगर वापिस अपनी मर्जी से नही जा सकता..
फ़िल्म वार्निग एक वेबसीरीज बनाई गई थी जिसमे गैंगवार का शिकार युवा पम्मा पर आधारित कहानी है जिसमे पम्मा सरपंच को कहता है कोई कम ही दवा दो..यही एक टर्निग पॉइंट है जिंदगी का हम किस किरदार से काम मांगते है वो हमें कैसा काम दिलाता है किस से मिलवाता है ।
बहुत से किरदार जीवन को नया आकार दे देते है उन लोगो को जिनका मकसद सिर्फ स्वार्थ होता है पम्मा का हौंसला ओर उसका ये कहना “मैं बन्दा मारन तो पहला वार्निग देना हा” फ़िल्म के डायलॉग बड़े ही रोचक है कथावस्तु भी कमाल की है निर्देशक ने कैमरे की आंख से परदे पर उतारा है सुपर स्टार गिप्पी ग्रेवाल की एंट्री , वार्निग के अगले पार्ट में क्या होगा , पम्मा क्या करेगा ,दर्शको को इंतजार करवाने के लिए काफी है बाकी फ़िल्म के लेखक की कलम है किरदारों की सतरंज में कौन मोहरा बनता है जिस तरह से फ़िल्म पम्मे के किरदार के आसपास है मेरी कलम भी उसी किरदार के आसपास है जिसकी कलम ये लिखने का साहस रखती है हर क्रिमनल धोखेबाज फरेबी झूठ इंसान अपना करिन्दा ईमानदार ही चाहता है प्रिंस कंवलजीत सिंह जिसे बचपन मे भी “चंद रोटी लगदा सी…”
कला साहित्य व फ़िल्म के आसमान पर सदैव आजाद पंछी बन कर उड़ते रहो…Show Must Go ..On ज़िन्दगी ज़िंदाबाद ।।
@sanjiv Shaad