
डीसी यशपाल यादव ने किया उद्घाटन लेखक और निर्देशक लोकेश मोहन खट्टर व अभिनेत्री प्रतिभा सिंह को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और कहा कि इस तरह के आयोजनों के लिए प्रशासन द्वारा हर सम्भव सहयोग दिया जाएगा
रोहतक, 14 सितंबर। हरियाणा इंस्टिट्यूट ऑफ परफोर्मिंग आर्ट्स (हिपा), हरियाणा साहित्य अकादमी, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला और उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, इलाहाबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एकल नाट्य समारोह का शुभारंभ ‘धूप छांव का अंतराल’ की प्रस्तुति से हुआ। रंग प्रयास नाट्य मंच हिसार की ओर से लोकेश मोहन खट्टर द्वारा लिखित और निर्देशित इस नाटक में प्रतिभा सिंह ने नारी जीवन की व्यथा को बेहद प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। पितृसत्तात्मक सोच के चलते एक लड़की को अपने परिजनों के द्वारा ही किस तरह की उपेक्षा और नफरत झेलनी पड़ती है, नाटक में इसी बिंदु पर प्रकाश डाला गया। नाटक में उस मां की पीड़ा को भी दिखाया गया, जो भारी विरोध और प्रताड़ना के बावजूद एक बेटी को जन्म देने का फैसला करती है। समारोह का उदघाटन जिला उपायुक्त यशपाल यादव ने किया।
अपने संबोधन में उपायुक्त ने कहा कि नाटक में रिश्तों के प्रति महिलाओं के मन में व्याप्त सम्मान को दिखाया गया है। वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी बनती है कि इन परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि उन्हें मंच से बेहद प्यार है और वे चाहेंगे कि सभी कलाकार मिल कर अपनी संस्कृति को बचाने के लिए जितना अधिक काम कर सकते हैं, करें। उन्होंने नाटक के लेखक और निर्देशक लोकेश मोहन खट्टर व अभिनेत्री प्रतिभा सिंह को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और कहा कि इस तरह के आयोजनों के लिए प्रशासन द्वारा हर सम्भव सहयोग दिया जाएगा। मंच संचालन अविनाश सैनी ने किया।
हिंदी पखवाड़े के उपलक्ष्य में हुए प्रस्तुत नाटक की मुख्य किरदार नेहा नाम की एक महिला रही, जिसे पैदा होने कई वर्षों तक अलगाव और भेदभाव झेलना पड़ता है। बाद में वह पढ़-लिख कर कालेज में प्राध्यापिका बन जाती है और उसकी शादी भी एक प्राध्यापक के साथ हो जाती है। नेहा को पहला बेटा हुआ। जब वह दूसरी बार गर्भवती हुई तो उसकी इच्छा के विरुद्ध अल्ट्रासाउंड करवा कर भ्रूण की जांच करवाई गई और गर्भ में लड़की का पता लगने पर सास तथा पति द्वारा उस पर गर्भपात के दबाव बनाया गया। आखिर नेहा ने हिम्मत की और गर्भपात करवाने की बजाय घर छोड़ने का फैसला ले लिया।
अलग रहते हुए नेहा ने पूजा नाम की एक लड़की को जन्म दिया। पूजा के दसवीं कक्षा में प्रथम आने पर, 15 साल बाद उसके पिता को अपने किए पर ग्लानि महसूस हुई। तब वह नेहा के घर जाकर उससे और अपनी बेटी से माफी मांगता है तथा उन्हें अपने साथ चलने के लिए कहता है। लेकिन नेहा इसको अपने आत्मसम्मान पर कुठाराघात मानती है। वह कहती है कि मैं कोई वस्तु नहीं, कि जब चाहे निकाल दिया और जब चाहे बुला लिया। हां, अगर आप चाहो तो यहां मेरे पास आकर रह सकते हो।
इस अवसर पर अंशुल पठानिया, विश्वदीपक त्रिखा, कपिल सहगल, राघवेंद्र मलिक, हरीश भारद्वाज, अलकेश दलाल, डॉ. आनन्द शर्मा, यशपाल छाबड़ा, आर के रोहिल्ला, विष्णु मित्र सैनी, बंटी सहरावत, श्रीभगवान शर्मा, गुलाब सिंह खांडेवाल, डॉ. हरीश वशिष्ठ, शक्ति सरोवर त्रिखा, अविनाश सैनी, सुजाता, विकास रोहिल्ला, रिंकी बतरा, महक कथूरिया, अजहरुद्दीन अज़हर सहित अनेक नृत्यप्रेमी उपस्थित रहे।
– अविनाश सैनी।