
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा कम्यूनिटी हॉल,नजदीक गौशाला ,मंडी डबवाली में आयोजित पांच दिवसीय श्रीकृष्ण कथा के *प्रथम दिवस* की शुरुआत श्री कुलदीप सिंह गदराना एडवोकेट,मनीष बांसल C.A,पवन सोनी, गणपति ज्वेलर्स,सतपाल बागड़ी,प्रकाश चंद बांसल,राम लाल बागड़ी,सुरेश मित्तल,परमजीत कोचर, राम जी स्वीट्स,दीपक बाबा पत्रकार राकेश बांसल, पम्मी वधवा,दरिया सिंह,पवन गार्गी,विजय मुंजाल,विनोद जिंदल,नेकी क्लॉथ स्टोर द्वारा ज्योति प्रज्वलित कर की गई।
सर्वश्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सुश्री कालिंदी भारती जी ने भगवान श्रीकृष्ण और उनके अनेकों भक्तों की गाथाओं का वर्णन गुणार्थ सहित बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण शरीर मात्र श्री नहीं अपितु परमात्मा है ।जिन्हें बुद्धि, तर्क ,वाणी के द्वारा नहीं अपितु गुरु द्वारा प्रदान किये गये ब्रह्म ज्ञान की दीक्षा से अपने आंतरिक घट में देख कर जाना जा सकता है ।गोकुल की गलियों में दौड़ते हुए गोप बालक को देखकर कौन कह सकता है कि वह परमात्मा है ।
वन में अपनी पत्नी के खो जाने पर विलाप करते हुए वृक्षों व लताओं से अपनी पत्नी के समाचार पूछनेवाले वनवासी राम को देखकर भला कौन कह सकता कि वह परमात्मा है ।
परमात्मा की लीलाएं सदैव मनुष्य के लिए रहस्य बनी रही है। क्योंकि वह परमात्मा को अपनी बुद्धि के द्वारा समझना चाहता है ।जो संभव नहीं है। इसीलिए रावण, कंस ,शिशुपाल ,दुर्योधन जैसे लोग भी प्रभु की लीलाओं से धोखा खा गए। प्रभु की प्रत्येक लीला में आध्यात्मिक रहस्य छुपा होता है। जिसका उद्देश्य मनुष्य को आध्यात्मिक मार्ग की ओर प्रेरित करना है। जब एक मनुष्य पूर्ण सद्गुरु की कृपा से ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करता है तब उसके अंतर में ही इन लीलाओं में छुपे हुए आध्यात्मिक रहस्य प्रकट होते हैं तथा पूर्ण सतगुरु की कृपा से ही इन रहस्यों को समझ पाता है। कथा का समापन प्रभु की विधिवत आरती के साथ हुआ जिसमें अमित गुप्ता एवं उनकी धर्म पत्नी और उनकी माता,अभय सिंगला एवं उनकी धर्म पत्नी, सुधीर झालरिया एवं उनकी धर्म पत्नी,शशि झालरिया,दीपक सिंगला जी भी शामिल हुए।