आनलाइन शिक्षा मात्र एक उपाय……
कोविड 19 के कारण लाकडाऊन से देश भर के शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान बंद हैं। जिस से देश विदेश में शिक्षण संस्थान अपने विद्यार्थियों को आनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इस आनलाइन शिक्षा पद्धति पर कुछ न्यूज चैनलों, पेपरों और सोशल मीडिया के आलोचकों द्वारा तरह-तरह के सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि आनलाइन शिक्षा से बच्चों के स्वास्थ्य विशेषकर आंखों पर दुष्प्रभाव पड़ता है, बच्चे इंटरनेट का गलत उपयोग करके अश्लील वलगर कंटैंट देखकर बिगड़ते हैं। बच्चा वास्तविक ज्ञान से वंचित रह कर केवल परीक्षा उत्तीर्ण करने तक सीमित हो कर रह जाता है,कुछ अभिभावक अपने बच्चों को स्मार्टफोन लैपटॉप आदि देने असमर्थ होते हैं, कुछ एरिया में इंटरनेट की दिक्कतें भी रहती हैं और समुचे तौर पर , विशेष कर निजी स्कूलों को यह कह कर निशाना भी बनाया जाता है कि इन्हें तो अपनी फीस की पड़ी है, यहां मैं यह स्पष्ट कर दूं कि लाकडाऊन की इस अवस्था में किसी ने भी साकारात्मक सुझाव नहीं दिया कि गत 15 महीनों में बंद पड़े शिक्षण संस्थानों के कारण बच्चों को शिक्षा प्रदान कैसे करें? शिक्षा किसी भी राष्ट्र या समाज की सुदृढ़ नींव होती है, इनकी नींव बनने से पहले ही खोखली की जा रही है। शिक्षा बच्चे का मौलिक अधिकार है, जिससे वह मरहूम है।यह सरकार और समाज का मुख्य दायित्व है कि शिक्षा प्रत्येक द्वार तक पहूंचे।
सदैव एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, जहां आनलाइन क्लासिस लेने के कुछ नाकारात्मक पहलू हैं। वहां बहुत सारे साकारात्मक पहलू भी हैं।
ऐसी अवस्था में सबसे महत्वपूर्ण है बच्चों को व्यस्त कैसे रखें कि उनके ज्ञान में वृद्धि कैसे हो, उसका मानसिक, बौद्धिक, आर्थिक,शरीरिक व सामाजिक विकास कैसे हो? क्योंकि खाली पड़े बगीचे में तो घास फूस और कैकटस ही होंगे, इसलिए बच्चों के मस्तिष्क को व्यस्त रखने और वे डिप्रेशन में न चले जाएं यह जरूरी है कि उन्हें किसी भी तरह की और किसी भी तरीके से शिक्षा दी जाए तो एक मात्र तरीका है कि उसे आनलाइन पढ़ाया जाए। बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखना भी जरूरी है, नहीं तो वे सबकुछ भूल जाएंगे।आनलाइन शिक्षा से विद्यार्थियों अभिभावकों व शिक्षकों की ऊर्जा, समय और धन की बचत भी होती है और आनलाइन क्लासिस के साथ साथ शिक्षक के व्याख्यान रिकार्डिड हो जाते हैं जिन बच्चों को समझ ना आने पर वे उन्हें दुबारा भी सुन सकता है। आनलाइन शिक्षा लड़कियों और महिलाओं केलिए बहुत सुरक्षित भी है।जैसे संगीत, नृत्य, कुकिंग,सिलाई, कढ़ाई क्राफ्ट ड्राइंग, पेंटिंग व इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स जैसे स्किल्स आजकल आनलाइन ही सिखाये जा रहे हैं।आजकल तो बहुत सारी कंपनियों ने भी अपने बायजू, वेदान्तु, ज़ूम, गुगल मीट न जाने कितने एप लांच किये हैं
इस आनलाइन शिक्षा पद्धति के अलावा हमारे पास कोई और विकल्प भी तो नहीं है। मेरा विद्यार्थियों और अभिभावकों से अनुरोध है कि आप जितनी जल्दी हो सके इसे अपनाएं। संकट के इस दौर में आनलाईन शिक्षा उस माझी के समान है जो हमारी शिक्षा रूपी नाव को पार लगा सकता है। इस लिए सुनने की आदत डालिए अवसरों की आहट बहुत धीमी होती है और याद रखिए हर मुसीबत अपने साथ अपने से भी बड़ा अवसर साथ लाती है।समय अवश्य बदलेगा आशा वादी बने रहिए। वेदप्रकाश भारती निदेशक एन पी एस डबवाली