सिरसा – लेखन सौंदर्यबोध से उपजता है उसके लिए सामाजिक समानता , स्वतंत्रता , सद्भाव जरूरी है । ये शब्द प्रगतिशील लेखक संघ , सिरसा एवं पंजाबी लेखक सभा , सिरसा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित ‘ विमर्श , लोकर्पण एवं काव्य -गोष्ठी ‘ कार्यक्रम में ‘वर्तमान में लेखकीय जिम्मेदारियां ‘ विषय पर बोलते हुए प्रो हरभगवान चावला ने कहे । उन्होंने लेखन की जिम्मेदारियों को रेखांकित करते हुए कहा कि लेखन को हाशिये के लोगों , पीड़ितों , शोषितों के साथ खड़े होना होगा ।
वर्तमान की समस्याओं का समाधान अतीत से नहीं किया जा सकता । अतीत से सबक सीखे जाते हैं कार्यक्रम के आरंभ में कु साक्षी ने कबीर के दोहे प्रस्तुत किए । कुलदीप सिंह सिरसा ने जगतार की प्रसिद्ध ग़ज़ल ‘ हर मोड़ ते सलीबां ‘ नए अंदाज में पेश की । पंजाबी लेखक सभा , सिरसा के अध्यक्ष परमानन्द शास्त्री ने अतिथियों , कवियों का संक्षित परिचय करवाते हुए श्रोताओं का स्वागत किया । कार्यक्रम का मंच संचालन पंजाबी लेखक सभा, सिरसा के महासचिव डा हरविंदर सिंह ने किया । प्रगतिशील लेखक सभा सिरसा के प्रधान रमेश शास्त्री ने अतिथियों , कवियों, श्रोताओं के आभार व्यक्त किया ।कार्यक्रम के दूसरे चरण में विर्क पुष्पिंदर के पंजाबी काव्य संग्रह ‘ जेकर देखदी ना ‘ का लोकर्पण किया गया । इस पुस्तक पर चर्चा करते हुए का. स्वर्ण सिंह विर्क ने विर्क पुष्पिंदर के प्रथम काव्य संग्रह का स्वागत किया जाना चाहिए ।कार्यक्रम के तीसरे चरण ‘ काव्य गोष्ठी ‘ में विर्क पुष्पिंदर , डा आरती बंसल , डा हरमीत कौर , छिंदर कौर , रविन्द्र कौर सचदेवा , दिनेश हरमन , हीरा सिंह , वीरेंदर भाटिया ,सुरेश वर्णवाल ने अपनी कविताओं का पाठ किया । कवि गोष्ठी का संचालन सुरजीत सिरड़ी ने किया ।इस अवसर पर प्रो राजेन्द्र भंवरिया , प्रो रूप देवगुण , राज कुमार निजात , शील कौशिक , ज्ञान प्रकाश पीयूष , प्रवीण बागला , लजपुष्प ,अरवेल सिंह , जगदेव फौगाट , गुरजीत मान , सुरिंदर साथी , डा शेर चंद , हरदयाल बेरी , टी के लोहिया , अनीश कुमार ,गुरसाहब सिंह , करनैल सिंह आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे ।