कुछ तेरे लिए ख्बाव है
कोई ख़याल है ..
इसलिए शायद आज भी मै तेरे ही नाम से जाना जाता हूँ और ……लेकिन तूने
मिटटी पे मेरा नाम लिख कर कितनी बार मिटा कर हवा में उड़ा दिया था
मैं उस रंग को भी नही भुला….
और मिटाते वक्त जो तेरे चहेरे का रंग था
वो आज भी याद है मुझे
मैने रंगों को बदलते देखा है इसलिए मैं कभी कभी
रंगो को
उड़ा देता हूँ
उन रंगो में हज़ारो तस्वीरे बनती है
ख्बाव और ख़याल की
सच मानना मेरे पास इक रंग आज भी अधूरा सा है
और तुमने कितने ही रंग बदल लिए ……………shaad