Home updates टिक टिक टिक ….

टिक टिक टिक ….

0 second read
0
0
0

घड़ी की टिक टिक …..
और रुक हुआ वक्त
फिर भो कितना
बदल गया
मैं
तुम हम सब
कमाल है ना वक्त का
छु मन्त्र
जादू टोना
और प्लेटफार्म
सी जिंदगी
और जीवन की गाड़ी
का गुजर जाना
कुछ पल
ठहर
कर
चाट पकोड़ा
रोटी दाल और मकान दुकान
किसी धर्मशाला या धार्मिक स्थान
पे लटकते पंखे पे घूमता हुआ
सिर्फ
नाम
मेने देखा है
आज रुका हुआ वक्त
और टिक टिक
करती घड़ी
जीवन की रेलगाड़ी को भाग कर पकड़ना
और खड़े होकर
सफर करना ……. फिर सोचता हूँ
इस भगम भाग में
रोज इक
कविता
गीत या गजल तो लिख लेता हूँ
अपने हिस्से की
जिंदगी जी लेता हूँ
क्योकि
अक्सर देखता हूँ
सोचते हुए लोग की
ये हुआ नही वो किया नही
और
चलती
गाड़ी से रुके हुए घर
मकान दुकान और प्लेटफार्म
पे लटकी घड़ी
की टिक टिक टिक टिक टिक टिक……….और तेरी मुस्कान.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

टिक टिक टिक ….

0 second read
0
0
0

घड़ी की टिक टिक …..
और रुक हुआ वक्त
फिर भो कितना
बदल गया
मैं
तुम हम सब
कमाल है ना वक्त का
छु मन्त्र
जादू टोना
और प्लेटफार्म
सी जिंदगी
और जीवन की गाड़ी
का गुजर जाना
कुछ पल
ठहर
कर
चाट पकोड़ा
रोटी दाल और मकान दुकान
किसी धर्मशाला या धार्मिक स्थान
पे लटकते पंखे पे घूमता हुआ
सिर्फ
नाम
मेने देखा है
आज रुका हुआ वक्त
और टिक टिक
करती घड़ी
जीवन की रेलगाड़ी को भाग कर पकड़ना
और खड़े होकर
सफर करना ……. फिर सोचता हूँ
इस भगम भाग में
रोज इक
कविता
गीत या गजल तो लिख लेता हूँ
अपने हिस्से की
जिंदगी जी लेता हूँ
क्योकि
अक्सर देखता हूँ
सोचते हुए लोग की
ये हुआ नही वो किया नही
और
चलती
गाड़ी से रुके हुए घर
मकान दुकान और प्लेटफार्म
पे लटकी घड़ी
की टिक टिक टिक टिक टिक टिक……….और तेरी मुस्कान.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

Epaper 13 August 2021