वो
मुझे कहता है
बात कर
मैं बाते मारने के लिए उस से बात करता हूँ
लेकिन बाते मरती नही
बल्कि नई बातो को जन्म देती है
मै और वो जब मिलते है तो तेरी बाते करते है
फिर नई बात जन्म लेती है
नए अर्थो के साथ बिना शब्दों के
वो कहता है की हम दोनों के इलावा
ये
तीसरा कौन
कोई तो है जब तुम नही होते तो
मुझ से बात करता है
हम तीनो कभी मिलते नही है
दो ही रहते है इक को अलग होना पड़ता है
बस इक को अलग होना पड़ता है……
तभी तो दो मिल कर तीसरे की बात करते है
जब अकेला होता हूँ
तो आपने आप से मिल कर तेरी ही बात करता हूँ और सोचता हूँ……
तुम्हारा जिक्र, तुम्हारी फिक्र, तुम्हारा एहसास….
तुम खुदा नहीं फिर,
हर जगह मौजूद क्यों हो…
.क्योकि, तुम एक गोरख धंदा हो l