प्रेम……. इक शब्द
हज़ार अर्थ सेंकडो भाव
और है सरल
पर होता नही
उमड़ता है
जरूरत
के लिए लेकिन
कही आपने से दूर
तेज आंधी में
कभी कभी
कोई
प्रेम का दिया
जलता है
तो लगता है
प्रेम इबादत है भक्ति है मस्ती है
तू ही तू की
बस
यार खुदा है …….
इसलिए कुछ लोग उनसे प्रेम करते है
जिसको कभी देखा भी नही
तभी तो कहते है
दाई आखर प्रेम के पढ़े सो……..
पर मुश्किल है
दो समा नही सकते सांकरी गली में एक को मिटना पड़ता है
कोई कोई है जो अपना घर जला कर कहता है
वाह तेरी मौज
और मौन हो जाता है वो गल्ल(बात)को पा जाता है
और अक्सर लोग
उसे
पागल समझते है……….
दिल मर जाने नु की होया सजना
कदे भी ना आज जिन्हे रोया सजना
बस सच की आग पे भी
दूध के बिना
खीर
नही बनती……रोग लगा के चला गया वो
अब चढ़ चौबारे बोलूं
सब झूठ
तेरी किताब में नही दिखती
उसकी शक्ल तेरा रब रूठता है तो रूठ जाये
इसलिए आज सुन ले या कल…
मैं
तेरी
मैं तेरी
सिर्फ
तेरी……… तेरी मैं हीर
तू मेरा फकीर…..
तेरी मौज हर रोज…….
ना कोई तेरे से पहले ना कोई तेरे बाद
ना अक्ल न शक्ल बस तेरा……..shaad
तेरा shaad…..
प्रेम……. इक शब्द
हज़ार अर्थ सेंकडो भाव
और है सरल
पर होता नही
उमड़ता है
जरूरत
के लिए लेकिन
कही आपने से दूर
तेज आंधी में
कभी कभी
कोई
प्रेम का दिया
जलता है
तो लगता है
प्रेम इबादत है भक्ति है मस्ती है
तू ही तू की
बस
यार खुदा है …….
इसलिए कुछ लोग उनसे प्रेम करते है
जिसको कभी देखा भी नही
तभी तो कहते है
दाई आखर प्रेम के पढ़े सो……..
पर मुश्किल है
दो समा नही सकते सांकरी गली में एक को मिटना पड़ता है
कोई कोई है जो अपना घर जला कर कहता है
वाह तेरी मौज
और मौन हो जाता है वो गल्ल(बात)को पा जाता है
और अक्सर लोग
उसे
पागल समझते है……….
दिल मर जाने नु की होया सजना
कदे भी ना आज जिन्हे रोया सजना
बस सच की आग पे भी
दूध के बिना
खीर
नही बनती……रोग लगा के चला गया वो
अब चढ़ चौबारे बोलूं
सब झूठ
तेरी किताब में नही दिखती
उसकी शक्ल तेरा रब रूठता है तो रूठ जाये
इसलिए आज सुन ले या कल…
मैं
तेरी
मैं तेरी
सिर्फ
तेरी……… तेरी मैं हीर
तू मेरा फकीर…..
तेरी मौज हर रोज…….
ना कोई तेरे से पहले ना कोई तेरे बाद
ना अक्ल न शक्ल बस तेरा……..shaad