उसने कहा जाओ इस
मिट्टी के घड़े में
पानी लेकर आओ
जैसे मैने घड़े को हाथ लगाया
सर पे रखा तो उसने इक थप्पड़ जड़ दिया
की देखो टूट न जाये
मेने पूछा की अभी टुटा तो नही फिर
थप्पड़ क्यों
उसने कहा
जब टूट ही गया तो थप्पड़ का क्या फायदा…
और मैं …..सोचता रहा
इक सपना था
न थप्पड़ न घड़ा और…….न वो
जब आँख खुली
तो………सिर्फ मैं ही था……..
थप्पड़…..
उसने कहा जाओ इस
मिट्टी के घड़े में
पानी लेकर आओ
जैसे मैने घड़े को हाथ लगाया
सर पे रखा तो उसने इक थप्पड़ जड़ दिया
की देखो टूट न जाये
मेने पूछा की अभी टुटा तो नही फिर
थप्पड़ क्यों
उसने कहा
जब टूट ही गया तो थप्पड़ का क्या फायदा…
और मैं …..सोचता रहा
इक सपना था
न थप्पड़ न घड़ा और…….न वो
जब आँख खुली
तो………सिर्फ मैं ही था……..