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बन्द आँखे….

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बस दिक्कत ये है की
लोग मुझे वो नहीं समझते जो मै आपने आप को समझता हूँ
बंद आँखों से जब कभी भी मुश्किल से आपने अंदर की यात्रा शुरू करता हूँ
तो सवालों का पहाड़ खड़ा हो जाता है
और मै
डर जाता हूँ
खुली आँखों से जो देखता हूँ
तो
मै वो  होता हूँ
जिसे सिर्फ लोग पहचाते है
जानते नहीं
बस
ये ही इक कशमकश है दिक्कत है की लोग वो नहीं समझते जो
“हर कोई अपने आप को समझता है।”

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बस दिक्कत ये है की
लोग मुझे वो नहीं समझते जो मै आपने आप को समझता हूँ
बंद आँखों से जब कभी भी मुश्किल से आपने अंदर की यात्रा शुरू करता हूँ
तो सवालों का पहाड़ खड़ा हो जाता है
और मै
डर जाता हूँ
खुली आँखों से जो देखता हूँ
तो
मै वो  होता हूँ
जिसे सिर्फ लोग पहचाते है
जानते नहीं
बस
ये ही इक कशमकश है दिक्कत है की लोग वो नहीं समझते जो
“हर कोई अपने आप को समझता है।”

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