सच
मैं जिंदगी में डूब कर अंत तक जीना चहाता हूँ
बस दुनिया मुझे किस नज़रिये से देखती ये देखने वाली आँख है मेरे पास
चिंता नही चिंतन है।
हथियार नही विचार है
पर रात नही ख्बाव है
और यकीन मानो मैं अकेला नही मेरे पास सिर्फ
इक कलम है पत्नी जैसी
कविता जैसी बेटी
गीत जैसा बेटा
गजल जैसा घर और कहानी जैसी रोटी
और विरासत जैसा खानदान और आपका इक विशवास रिश्तों जैसा
और इसके इलावा होता भी क्या है दुनिया में कम से कम मैं नही जनता
और मेरी जिंदगी जिंदगी है कोई पानी (दुनियावी)में तैरती लाश नहीं
और मैं अंत तक ज़िन्दगी को गुनगुनाता रहूँगा वक्त के खूबसूरत साज पर………………. Sanjivv Shaad