तुम
सिर्फ तुम
तुम को कभी देखा नही
वो भी नही
जिसको तुम समझते हो
तुम मेरी समझ से भी परे हो
तुम ही सृष्टि तुम ही दृष्टि
तुम ही राधा तुम मीरा
तुम ही भक्ति तुम ही शक्ति
तुम ही मन्दिर तुम मूरत
तुम जग में तुम जीवन में
तुम अगम अगोचर
तुम में प्रेम तुम प्रीतम
तुम में अंत तुम में आगाज
तुम ही रात तुम प्रभात
मैं से तू तक
का सफर
मैं को खोया तुम को पाया
तुम ही
मंजिल
तुम ही
मुसाफिर ……….
तुम ही तुम को तुम से मिलने आया
तो बस ये ही समझ आया
खाली हाथ तब तेरा साथ
उतना सफर आसान जितना कम समान
तो फिर अब
धड़कन दिल की संगीत हो
मरना यार के लिए इक प्रीत हो
तुम ही याद तुम ही फरियाद
सफर…………..खत्म ।