जिंदगी में…..ख़ुशी गम परेशान मौनऔर खुद की नज़र भीकितने सवाल खड़े करती है खुद सेवैसे में दिखता कुछ और ही हूँतुम्हेजैसे ……..अक्सर तुम मुझे दिखते होखुद के रूबरू हो कर इक दिनये ख़याल आया कितना बदल गया हूँ मैं मन जितना जीना चाहे तन उतना ही मरता जाये दिल भी पागल है उम्मीद ही करता जाये खुद रूपी-शीशे में बने …