Home updates अवश्य रंग लाएगा का. पानसरे का बलिदान: का. स्वर्ण सिंह विर्क का. गोविन्द पानसरे के शहादत दिवस पर हुई चर्चा-परिचर्चा

अवश्य रंग लाएगा का. पानसरे का बलिदान: का. स्वर्ण सिंह विर्क का. गोविन्द पानसरे के शहादत दिवस पर हुई चर्चा-परिचर्चा

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दूसरे सत्र में अंतर्राष्ट्रीय मातृ-भाषा के उपलक्ष्य में हुई काव्य-गोष्ठी
महाराष्ट्र के प्रख्यात कम्युनिस्ट नेता, प्रगतिशील लेखक, प्रतिबद्ध चिंतक व तर्कवादी कार्यकर्ता का. गोविंद पानसरे की समाज-विरोधी ताक़तों द्वारा निर्मम हत्या करके चाहे उनकी आवाज़ को ख़ामोश करने का कुत्सित प्रयास किया गया हो, लेकिन का. गोविंद पानसरे ने जिन सामाजिक मूल्यों के लिए अपना बलिदान दिया है वह कभी व्यर्थ नहीं जाएगा। तर्कवादी समतापरक समाज के निर्माण व सामाजिक कुरीतियों के ख़िलाफ़ उनका संघर्ष अवश्य रंग लाएगा। यह विचार प्रतिबद्ध मार्कवादी चिंतक का. स्वर्ण सिंह विर्क ने प्रगतिशील लेखक संघ, सिरसा व पंजाबी लेखक सभा, सिरसा के संयुक्त तत्वावधान में सराभा भवन, सिरसा में का. गोविन्द पानसरे के बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित चर्चा-परिचर्चा कार्यक्रम में मुख्य-वक्ता के तौर पर अपने संबोधन में व्यक्त किए। उन्होंने का. पानसरे द्वारा लिखित सर्वाधिक चर्चित पुस्तक ‘शिवाजी कौन थे’ की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए इसके अध्ययन को अनिवार्य बताया। उन्होंने इस अवसर पर का. पानसरे के साथ-साथ डा. नरेंद्र दाभोलकर, प्रो. एम एम कलबुर्गी, पत्रकार गौरी लंकेश इत्यादि का स्मरण करते हुए उपस्थितजन को उन द्वारा प्रतिपादित मूल्यों को आत्मसात करने व उन द्वारा प्रशस्त मार्ग पर दृढ़तापूर्वक चलते रहने का आह्वान किया। चर्चा-परिचर्चा के दौरान हरियाणा प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव डा. हरविंदर सिंह, प्रलेस सिरसा के अध्यक्ष रमेश शास्त्री, सचिव सुरजीत सिरड़ी, पंजाबी लेखक सभा, सिरसा के अध्यक्ष परमानंद शास्त्री, सुरेश बरनवाल, मास्टर करनैल सिंह, का. तिलक राज विनायक, हमजिंदर सिंह सिद्धू, सुरजीत सिंह रेणु, अनीश कुमार व सुशील कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए का. गोविंद पानसरे, डा. नरेंद्र दाभोलकर, प्रो. एम एम कलबुर्गी, गौरी लंकेश सरीखे सामाजिक कार्यकर्ताओं को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए और उन द्वारा प्रशस्त मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में डा. हरविंदर सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय मातृ-भाषा दिवस के उपलक्ष्य में अपने विचार व्यक्त करते हुए मातृ-भाषा में शिक्षा की अनिवार्यता एवं उपयोगिता के महत्व से विस्तार पूर्वक अवगत करवाया। इस अवसर पर आयोजित काव्य-गोष्ठी में उपस्थित कविजन ने अपनी कविताओं के माध्यम से मातृ-भाषा के महत्व को ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति प्रदान की। कार्यक्रम के समापन पर गत दिवस बिछुड़ गए प्रख्यात पंजाबी समीक्षक डा. रजनीश बहादर सिंह का स्मरण करते हुए मौन रखकर उनको श्र्द्धांजली अर्पित की गई।

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