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रोहतक के अंशुल पठानिया बने हरियाणा कलाकार कल्याण मंच के संरक्षक

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अविनाश सैनी रोहतक मंडल के अध्यक्ष और सुरेंद्र धौला रोहतक सिटी के अध्यक्ष चुने गए

रोहतक के अंशुल पठानिया को हरियाणा कलाकार कल्याण मंच (प्रस्तावित) के संरक्षक बनाया गया है। इसके अलावा संस्कृतिकर्मी अविनाश सैनी को मंच के रोहतक मंडल का अध्यक्ष और लोक कलाकार सुरेंद्र धौला को रोहतक सिटी का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। यह निर्णय अम्बाला में प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन वशिष्ठ की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में लिया गया। बैठक में सभी सदस्यों ने कला और कलाकारों की बेहतरी के लिए हमेशा आगे रहने और मंच का संरक्षक बनने के लिए अंशुल पठानिया का शुक्रिया अदा किया। अविनाश सैनी और सुरेन्द्र धौला ने कहा कि वे अपने क्षेत्र में कलाकारों को संगठित करने और जरूरतमंद कलाकर्मियों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।

 

बैठक में निर्णय लिया गया कि मंच की ओर से सभी कलाकारों का मुफ्त बीमा करवाया जाएगा, ताकि किसी कलाकार के साथ कोई दुर्घटना होने पर उसके परिजनों को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े। बैठक में सदस्यों ने कहा कि अगर यह सब कुछ सम्बन्धित विभाग – परिषद् व अकादमी द्वारा किया जाता, तो जरूरतमंद कलाकारों के लिए संजीवनी का काम किया जा सकता था। लेकिन इस विषय पर प्रदेश के उच्चाधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।

इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन वशिष्ठ ने कहा कि सरकार ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के लिए तो योजना बनाकर लागू कर दी, परन्तु कलाकारों के लिए कोई राहत भत्ता जारी नहीं किया। इसके विपरीत, हरियाणा के साथ लगते उत्तर प्रदेश और राजस्थान आदि राज्यों ने इस कोरोना काल में कलाकारों को बड़ी मात्रा में सहायता भत्ता दिया है। उन्होंने कहा कि अगर आज राज्य में कलश नीति (कला नीति) लागू की गई होती, तो हरियाणा का जरूरतमंद कलाकार दिहाड़ी, मजदूरी या फल-सब्जी की रेहड़ी लगाने को मजबूर न होता। उन्होंने कहा कि ऐसे हालातों में कलाकार कल्याण मंच (प्रस्तावित नाम) में जरूरतमंद कलाकारों की सहायता के लिए अपने स्तर पर प्रसास करेगा। इसके लिए साधन सम्पन्न कलाप्रेमियों और कारपोरेट जगत से फंड एकत्रित किया जाएगा।

मंच के महासचिव बुधराम मट्टू ने कहा कि कलाकार देश-प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर का असली पहरेदार है। वह न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने में अपना कलात्मक योगदान देता है, बल्कि सांस्कृतिक मेलों और त्योहारों पर प्रदेश की लोक परम्पराओं का प्रदर्शन करके मंच की शोभा भी बढ़ाता है। इसके बावजूद वह सरकार की अनदेखी का शिकार है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के पिछले डेढ़ वर्षों में सरकार ने कलाकार समाज की कोई सुध नहीं ली है। जिसकी वजह से कलाकारों की आजीविका के संसधानों पर ग्रहण-सा लगा हुआ है और वे भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।

मंच के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ रंगकर्मी विश्व दीपक त्रिखा ने कहा कि आज राज्य की खेल नीति के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। दूसरी ओर, कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए बनाई जा रही कलश नीति की फाईल अधिकारियों की अलमारी में बंद पड़ी है। अगर सरकार का कलाकार समाज के प्रति यही रवैया रहा, तो युवा कलाकार भविष्य में इस क्षेत्र को बाॅय-बाॅय कहने के मूड में हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की सोच सही नहीं है, वरना यह क्या बात है कि खिलाडि़यों पर तो लाखों-करोड़ों की वर्षा हो रही है और सांस्कृति को जीवित रखने वाले कलाकार हाथों में कटोरा लिए भीख मांगने को मजबूर हैं।

बैठक में ज्ञान चौरसिया, नरेश शर्मा, जगदीश शर्मा, सुशील शर्मा, दिनेश लाहोरिया, ऋषि भूषण बग्गन, महिन्द्र सिंह ‘मुन्ना’, सुभाष नगाड़ा, सुरेन्द्र धोला, अविनाश सैनी, उप प्रधान विनोद गोल्डी इत्यादि पदाधिकारी उपस्थित रहे।

विश्व दीपक त्रिखा रोहतक

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