Home News Point ‘द वायर’ की वरिष्ठ संपादकआरफ़ा ख़ानम शेरवानी आरफ़ा ख़ानम शेरवानी हुईं छत्रपति सम्मान – 2023 से अलंकृत

‘द वायर’ की वरिष्ठ संपादकआरफ़ा ख़ानम शेरवानी आरफ़ा ख़ानम शेरवानी हुईं छत्रपति सम्मान – 2023 से अलंकृत

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छत्रपति आज भी ज़िंदा हैं: आरफ़ा ख़ानम शेरवानी
आरफ़ा ख़ानम शेरवानी हुईं छत्रपति सम्मान – 2023 से अलंकृत


छत्रपति स्मृति समारोह हुआ सम्पन्न
सिरसा: 20 नवंबर:
रामचंद्र छत्रपति अपनी शहादत के इक्कीस वर्ष बाद आज भी ज़िंदा हैं क्योंकि उन्होंने हक, सच, न्याय और आमजन के पक्ष में आवाज़ बुलंद की। छत्रपति सम्मान पा कर वह अपने आप को सौभाग्यशाली एवं गौरवान्वित अनुभव करती हैं। यह विचार ‘द वायर’ की वरिष्ठ संपादक आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने साहित्यिक – सामाजिक सरोकारों को समर्पित संस्था संवाद सिरसा की ओर से सिरसा के पंचायत भवन में आयोजित छत्रपति स्मृति समारोह में मुख्यातिथि के तौर पर वैकल्पिक मीडिया के संबंध में अपने वक्तव्य में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जब पत्रकार को आमजन स्नेह व समर्थन देता है तो उसका हौसला और बढ़ जाता है परन्तु इसके लिए किसी की छत्रपति जैसी शहादत का इंतज़ार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा वर्तमान राजनीतिक परिवेश की मानिंद मीडिया का किरदार भी वैसा ही बन चुका है जिसमें से दलितों, दमितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, हाशियाग्रस्त आमजन के सभी मुद्दे गायब हैं। उन्होंने कहा कि आज मुल्क में सच की लड़ाई आमजन ही लड़ रहा है। संवाद सिरसा के सह-संयोजक डा. हरविंदर सिंह द्वारा अतिथिगण व सभी उपस्थितजन का स्वागत करने के उपरान्त ‘द वायर’ की वरिष्ठ संपादक आरफ़ा ख़ानम शेरवानी को ‘छत्रपति सम्मान -2023’ से नवाज़ा गया।

 

समारोह के दौरान मुख्य वक्ता के तौर पर पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन गुरिंदर पाल सिंह एडवोकेट ने ‘भारतीय न्याय व्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ’ विषय पर अपने वक्तव्य में कहा कि जब समूची व्यवस्था ही अपनी ज़िम्मेवारी को दरकिनार कर दे तो न्याय की उम्मीद ही कैसे की सकती है। न्याय मिलने में देरी के लिए संसाधनों की कमी तो है ही परन्तु इसके लिए वह व्यवस्था ज़्यादा ज़िम्मेवार है जो मुल्क के लोगों, आमजन, मज़लूमों, अल्पसंख्यकों और हाशियाग्रस्त लोगों के हकों की हिफाज़त करनी थी हमारी न्याय व्यवस्था के सामने बहुत बड़ी चुनौतियाँ मुंह बाए खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि मुल्क की जन संस्थाओं को बचाने के लिए आमजन को अपनी भूमिका निर्धारण करनी होगी। यदि हम रईसजादों की जगह रामचंद्र छत्रपति, आरफ़ा ख़ानम शेरवानी, रवीश जैसे लोगों का सम्मान करना सीख लेना चाहिए। इस अवसर पर शहीद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के सुपुत्र अंशुल छत्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि रामचंद्र छत्रपति ने ‘पूरा सच’ शुरू करते समय आमजन की आवाज़ बनने का जो संकल्प लिया था उस पर वह खरा उतरे। उन्होंने कहा कि यह सदा उन द्वारा प्रशस्त मार्ग पर सदैव चलते रहेंगे। अपने अध्यक्षीय संबोधन में संवाद सिरसा के संयोजक परमानंद शास्त्री ने अतिथिगण व सभी उपस्थितजन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा विश्वास व्यक्त किया कि आप सब का भविष्य में भी ऐसा सहयोग व स्नेह बना रहेगा। हरियाणा के प्रगतिशील लेखक, जुझारू सामाजिक कार्यकर्ता एवं संवेदनशील शिक्षक डा. रविंद्र गासो की स्मृतिशेष को समर्पित इस कार्यक्रम में डा. रविंद्र गासो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का स्मरण करते हुए मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजली भेंट की गई। कार्यक्रम के दौरान प्रीत बाजवा के साहित्यिक नाम पर सृजन करने वाले चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रो. सेवा सिंह बाजवा के तीन पंजाबी काव्य-संग्रहों ‘अधूरे आदमी’, ‘सुलघदे अहसास’ व ‘कल्लमकल्ला’ का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवि, कथाकार एवं शिक्षाविद प्रो. हरभगवान चावला ने किया।

इस अवसर पर का. स्वर्ण सिंह विर्क, का. सुरजीत सिंह, का. राजकुमार शेखुपुरिया, प्रो. आर पी सेठी, डा. निर्मल सिंह, गुरविंदर सिंह भाई कन्हैया आश्रम, आस्था, ईशनजोत, सिमरन, मुस्कान, डा. कुलविंदर सिंह पदम, मेजर शक्तिराज कौशिक, शील कौशिक, डा. हररत्न सिंह गाँधी, का. जगरूप सिंह, प्रो. एच के लाल, प्रो. अशोक भाटिया, प्रो. राजेंद्र भंवरिया, डा. के के डूडी, गुरभेज सिंह गुराया, रमेश गोयल, डा. राजेश, डा. रानी, भगवंत सिंह सेठी, नवनीत अंशुल, एंजल, डा. बलबीर कौर गाँधी, डा. निर्मल बंजारन, डा. हरमीत कौर, महक भारती, कुलदीप सिरसा, परमानंद शास्त्री, हरभगवान चावला, डा. हरविंदर सिंह, वीरेंदर भाटिया, सुरेश बरनवाल, सुरजीत सिरड़ी, अनीश कुमार, अजायब जलालआना, चिमन भारतीय, सुरेश मेहता, पुष्पा मेहता, डा. प्रदीप कुमार, डा. रेखा रानी, भूपिंदर पन्नीवालिया, साथी सुरेन्द्रपाल सिंह, छिन्द्र कौर, कुलवंत सिंह, जगदेव फोगाट, करनैल सिंह, प्रेम कंबोज, गुरतेज बराड़, डा. लखबीर सिंह, डा. विक्रम बांसल, डा. आरती बांसल, का. रघुबीर सिंह नकौड़ा, हीरा सिंह, सुरजीत रेणु, नवनीत रेणु, देवेंद्र सिंह, सदीव सिंह समेत अन्य प्रबुद्धजन ने विशाल संख्या में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज़ करवाई।

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