मरने के बाद ही लोग अच्छा कहते है जीते जी कोई नहीं है जो कहे की तुम कितने अच्छे हो और कभी कभी गूँगा और बहरा होने को मन करता है और रही आँखे बन्द करके सोने को मन करता है लो तुम भी छोड़ दो हथियार मैंने भी रख दी कलम अब तुम भी अच्छे हो और मैं भी …
मरने के बाद ही लोग अच्छा कहते है जीते जी कोई नहीं है जो कहे की तुम कितने अच्छे हो और कभी कभी गूँगा और बहरा होने को मन करता है और रही आँखे बन्द करके सोने को मन करता है लो तुम भी छोड़ दो हथियार मैंने भी रख दी कलम अब तुम भी अच्छे हो और मैं भी …
दीवार पे लटके कलण्डर पे आज 23 दिसम्बर है 19 वर्ष पहले भी 23 दिसम्बर था उस दिन रंगमच पे उतरा था नन्हे कलाकारों का इक काफिला सपने ले के ……मेरे शहर डबवाली में तालियों और संगीत के महारंग महोत्सव में आग ने तांडव मचा दिया जीवन रूपी नाटक का पर्दा गिर गया कैसा निर्देशक है तू कभी कभी तेरी …
दीवार पे लटके कलण्डर पे आज 23 दिसम्बर है 19 वर्ष पहले भी 23 दिसम्बर था उस दिन रंगमच पे उतरा था नन्हे कलाकारों का इक काफिला सपने ले के ……मेरे शहर डबवाली में तालियों और संगीत के महारंग महोत्सव में आग ने तांडव मचा दिया जीवन रूपी नाटक का पर्दा गिर गया कैसा निर्देशक है तू कभी कभी तेरी …
मेरा रंग मंच मेरा भाव मेरा धर्म मेरा कर्म मेरा स्कुल मेरा सकूनआज भी जब मन उदास होता है या खुश या फिर आपने आपको बड़ा समझता हूँ कभी कभीतो इस धरा पे लेट जाता हूँ। माँ की गोद जैसा आशीर्वाद ले कर छोटा सा हो जाता हूँ पता नहीं कितनी अमिट यादें मेरे मानसिक पटल में घूम जाती है …
मेरा रंग मंच मेरा भाव मेरा धर्म मेरा कर्म मेरा स्कुल मेरा सकूनआज भी जब मन उदास होता है या खुश या फिर आपने आपको बड़ा समझता हूँ कभी कभीतो इस धरा पे लेट जाता हूँ। माँ की गोद जैसा आशीर्वाद ले कर छोटा सा हो जाता हूँ पता नहीं कितनी अमिट यादें मेरे मानसिक पटल में घूम जाती है …
31 दिसम्बर …………..हर महीने मैं दीवार पे लगे कैलेण्डर में महीनो को फाड़ देता हूँ और मेरे सामने होता है इक नया महीना और आज है सामने है नया वर्ष और मेरा हाथ रुक गया नही फाड़ा मैंने दिसम्बर महीने को ये सोच के वक्त तारीखों और साल के हिसाब से नहीं बदलता बल्कि कर्म और नियत के साथ बदलता …
31 दिसम्बर …………..हर महीने मैं दीवार पे लगे कैलेण्डर में महीनो को फाड़ देता हूँ और मेरे सामने होता है इक नया महीना और आज है सामने है नया वर्ष और मेरा हाथ रुक गया नही फाड़ा मैंने दिसम्बर महीने को ये सोच के वक्त तारीखों और साल के हिसाब से नहीं बदलता बल्कि कर्म और नियत के साथ बदलता …
गुम है कोई और कोई क्यों ढूढ़ता न उसको वो मिला न वो उसको मिला शहर के चौराहे से गुजरते वक्त बस जिसे देखा था उसके बाद अब कोई चौराहा नहीं आया बस एक ही राह है इक आ रहा है एक जा रहा है और हर कोई हर किसी के पास से गुजर रहा हैऔर सफर ……..जारी है
गुम है कोई और कोई क्यों ढूढ़ता न उसको वो मिला न वो उसको मिला शहर के चौराहे से गुजरते वक्त बस जिसे देखा था उसके बाद अब कोई चौराहा नहीं आया बस एक ही राह है इक आ रहा है एक जा रहा है और हर कोई हर किसी के पास से गुजर रहा हैऔर सफर ……..जारी है
गुरु नानक कॉलेज किल्लियांवाली के पूर्व छात्र संघ की वार्षिक आम बैठक 14 नवंबर …
किड्स किंगडम कान्वेंट स्कूल में 77 वें स्वतंत्रता दिवस का भव्य आयोजन किया गया। …
घर फूँक थियेटर फेस्टिवल में हुई “मौत क्यूं रात भर आती नहीं” नाटक …
A YouTube Channel by a Theater artist, Choreographer, Mentor, Motivational Spraker Sanjeev Shaad of M.Dabwali for providing an open platform to everyone who has something to say,to share,to explore with the Society. This channel is also a medium to highlight and sharp your God- gifted virtues with each other, following the mission to appreciate and highlight the hidden talent.