जब मैं छोटा था तो सुना था की जायदा न हँसो जितना हँसोगे उतना ही रोयोगे बस फिर मैं कभी कभी डर के हँसता था और फिर मैं बच्चा नहीं रहा ………. बड़ा हो गया
जब मैं छोटा था तो सुना था की जायदा न हँसो जितना हँसोगे उतना ही रोयोगे बस फिर मैं कभी कभी डर के हँसता था और फिर मैं बच्चा नहीं रहा ………. बड़ा हो गया
सच मानो की मैं दिन भर बे मतलब के काम करता हूँ और लोग जिसे करते वक्त सोचते है की क्या फ़ायदा यकीन करो कभी मुझे उन कामो से मेराकोई नुकसान नहीं हुआ Sanjiv Shaad……..?
सच मानो की मैं दिन भर बे मतलब के काम करता हूँ और लोग जिसे करते वक्त सोचते है की क्या फ़ायदा यकीन करो कभी मुझे उन कामो से मेराकोई नुकसान नहीं हुआ Sanjiv Shaad……..?
पेड़ के पास कुछ देर के लिए रुका सैर के वक्त बूढ़ा था लम्बी लम्बी डालिया पते मन करता था बैठा रहूँ उसकी गोद में …….अब भी कभी उसके पास से गुजरता हूँ तो रुकता हूँ कुछ पल के लिए और पेड़ होने का मन करता है शांत होने को मन करता है ……….. शुक्रिया उन हाथो को जिसने पता …
पेड़ के पास कुछ देर के लिए रुका सैर के वक्त बूढ़ा था लम्बी लम्बी डालिया पते मन करता था बैठा रहूँ उसकी गोद में …….अब भी कभी उसके पास से गुजरता हूँ तो रुकता हूँ कुछ पल के लिए और पेड़ होने का मन करता है शांत होने को मन करता है ……….. शुक्रिया उन हाथो को जिसने पता …
शर्म लज्जाभयगुलामीबेबसी लाचारी और फटकार दुनिया की बे मतलब की बातेँ कोसर पे उठा के घर से निकलती है………मेरी बेटी और हज़ारो सवालो का जबाब बन के जब शाम को घर लौटती है तो मैं दूसरा साँस लेता हूँऔर मैने फिर भी इसका नाम सृष्टि (रचना)रखा है ………shaad
शर्म लज्जाभयगुलामीबेबसी लाचारी और फटकार दुनिया की बे मतलब की बातेँ कोसर पे उठा के घर से निकलती है………मेरी बेटी और हज़ारो सवालो का जबाब बन के जब शाम को घर लौटती है तो मैं दूसरा साँस लेता हूँऔर मैने फिर भी इसका नाम सृष्टि (रचना)रखा है ………shaad
तुम जहाँ कही भी हो बस घर लौट आओ क्योकिता उम्र सफर में ही गुजरी है हम आपने शहर में होकर भी आपने घर में नही होते घर और दरआना ही पड़ता है अक्सर मैं शाम को या देर रात को घर लौटता हूँऔर घर में होकर भी घर में नही होता तब वो मेरे पास आती है और धीरे …
तुम जहाँ कही भी हो बस घर लौट आओ क्योकिता उम्र सफर में ही गुजरी है हम आपने शहर में होकर भी आपने घर में नही होते घर और दरआना ही पड़ता है अक्सर मैं शाम को या देर रात को घर लौटता हूँऔर घर में होकर भी घर में नही होता तब वो मेरे पास आती है और धीरे …
तुम उदास क्यों हो पूछा है उसने मुझ से ……बस …..और कहा की कभी कभी उदास भी होना चाहिये जरूरी है उदासी खालीपनऔर मौन अहसास ……………….कुछ न समझ आना और तेरा पुछनाक्यों……..और मैं शीशे के सामने खड़ा हो गया और मुझे इक जबाब मिला की मैं उदास क्यों हूँ मै उदास हूँ परेशान नहीमेरे आसपास है मेरी कविता मेरा गीत …
गुरु नानक कॉलेज किल्लियांवाली के पूर्व छात्र संघ की वार्षिक आम बैठक 14 नवंबर …
किड्स किंगडम कान्वेंट स्कूल में 77 वें स्वतंत्रता दिवस का भव्य आयोजन किया गया। …
घर फूँक थियेटर फेस्टिवल में हुई “मौत क्यूं रात भर आती नहीं” नाटक …
A YouTube Channel by a Theater artist, Choreographer, Mentor, Motivational Spraker Sanjeev Shaad of M.Dabwali for providing an open platform to everyone who has something to say,to share,to explore with the Society. This channel is also a medium to highlight and sharp your God- gifted virtues with each other, following the mission to appreciate and highlight the hidden talent.