
मैं स्वयं एक शिक्षक हूँ और स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करती हूँ। अध्यापक की भूमिका आज बदलती जा रही है । अध्यापक अब केवल किताबी ज्ञान से विद्यार्थियों को संतुष्ट नहीं कर सकता। उसको डिजिटल दुनिया से जुड़ कर भी पढ़ाना होगा। वह नैतिकता का पाठ भी सिखाएगा और AI से परिचित भी करवाए गा। शिक्षा वह नहीं जो किताबों में दर्ज़ है, शिक्षा वह है जो आचरण से झलकनी चाहिए। अध्यापक आईना है विद्यार्थियों का।
*शिक्षक दिवस की बधाई*
प्रणाम! मेरे गुरुजनों!
जिन्होंने सबक दिए जीवन के
उनको तहेदिल से प्रणाम
याद है मुझे
बचपन मे पड़ी हर डांट
जिसने सँवारा मुझे
हर डर
जिसने बनाया निडर मुझे
हर सजा
जिसने चेताया मुझे
उमेठे थे कान जिसने
उसी के विषय में
आज पारंगत हूँ
जिसने निकाली बिंदी की भी गलती
उसी को समर्पित करती हूँ
हर कविता
जिसने भरने सिखाए मानचित्र
उसी दुनिया को
आज भी अचंभित हो देखती हूँ
जिसने माइक्रोस्कोप से दिखाई
जीव जगत की सबसे छोटी इकाई
उसी माइक्रोस्कोप को
अपने चश्में में जड़कर
आज भी गहरे तक
जीवन अंश खोज लेती हूँ
अंग्रेजी की कविताओं का मर्म
समझाया जिसने
उसी को जोड़ कर
संवेदना के लिहाफ़ भी सी लेती हूँ
उसको भी वंदन
जिसने टेक्नोलॉजी के बटन दबाने सिखाए
बेसिक डिबेस कोबोल पास्कल
जो आज अप्रचलित हैं विश्वास की तरह
पर जरूरी हैं सांस की तरह
सब से जरूरी सितार संगीत
मिज़राब से बजाया
आज भी बज रहा है अनहद नाद सा
दोस्तों की वफाओं को
दुश्मनों की बद्दुआओं को
उन ठोकरों को, वर्जनाओं को
अस्वकृतियों को, घावों को
टूटे-बिखरे जीवन खंडों को
जुड़े,विरक्त चुभते रिसते ज़ख्मों को
हर छोटे बड़े सबक देने वाले पल को
करती हूँ प्रणाम
और सबसे पहले उनका अभिनंदन
माता पिता को चरण वंदन
जो बने रहे मेरा दर्पण
क्योंकि पहले और अंतिम गुरु
आज भी वही हैं
जो आज भी सही हैं।
©मीनाक्षी आहुजा
(5 सिंतबर 2023
शिक्षक दिवस)