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हरियाणा प्रलेस कार्यकारिणी का हुआ पुनर्गठन डा. सुभाष मानसा अध्यक्ष, डा. पाल कौर वरिष्ठ उपाध्यक्ष व डा. हरविंदर सिंह सिरसा महासचिव निर्वाचित

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हरियाणा प्रलेस कार्यकारिणी का हुआ पुनर्गठन
डा. सुभाष मानसा अध्यक्ष, डा. पाल कौर वरिष्ठ उपाध्यक्ष व डा. हरविंदर सिंह सिरसा महासचिव निर्वाचित
सिरसा: 2 मई:


अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) के राष्ट्रीय महासचिव डा. सुखदेव सिंह सिरसा, प्रलेस पंजाब राज्य इकाई के महासचिव डा. कुलदीप सिंह दीप, हरियाणा प्रलेस के संरक्षक डा. रतन सिंह ढिल्लों, प्रो. अशोक भाटिया, का. स्वर्ण सिंह विर्क, हरियाणा प्रलेस के अध्यक्ष डा. सुभाष मानसा व डा. जे एस यादव मैमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट के संयोजक डा. मोहित गुप्ता पर आधरित अध्यक्षमंडल की अध्यक्षता में संपन्न हुए

प्रलेस हरियाणा राज्य इकाई के प्रतिनिधि सम्मेलन में आगामी तीन वर्षों के लिए गठित राज्य कार्यकारिणी में डा. सुभाष मानसा को अध्यक्ष, डा. पाल कौर को वरिष्ठ उपाध्यक्ष व डा. हरविंदर सिंह सिरसा को महासचिव चुना गया।

यादव धर्मशाला, कुरुक्षेत्र मेँ आयोजित इस प्रतिनिधि सम्मेलन में चर्चा-परिचर्चा, सांगठनिक गतिविधियों व काव्य-पाठ पर आधारित विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया। डा. मोहित गुप्ता व प्रलेस कुरुक्षेत्र जिला इकाई के संयोजक डा. अतुल यादव द्वारा उपस्थितजन के स्वागत उपरांत आयोजित चर्चा-परिचर्चा के सत्र में प्रलेस की ऐतिहासिक वैचारिक पृष्ठभूमि, वर्तमान में लेखकीय जिम्मेवारियां व अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर प्रगतिशील साहित्यिक आंदोलन की स्थिति इत्यादि मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई। प्रलेस के इतिहास व इसकी विचारधारा से अवगत करवाते हुए का. स्वर्ण सिंह विर्क ने कहा कि प्रगतिशील साहित्यिक आंदोलन आमजन हितैषी जन-कल्याण का आंदोलन है। वर्तमान में लेखकीय ज़िम्मेवारियों को परिभाषित करते हुए प्रो. हरभगवान चावला ने कहा कि लेखन के साथ साथ लेखक के लिए सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता अनिवार्य है। डा. सुखदेव सिंह सिरसा ने अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर प्रगतिशील लेखन की भूमिका का निर्धारण करते हुए कहा कि प्रगतिशील लेखन हर तरह के हालात में आमजन की बुलंद ज़ुबान बनकर अपनी ज़िम्मेवारी का निर्वहन करने में सक्षम है। डा. कुलदीप सिंह दीप ने कहा कि आमजन से जुड़े मुद्दों के लिए लिखने के साथ साथ उनके संघर्ष के साथी बनना लेखक की सबसे बड़ी ज़िम्मेवारी है। डा. रतन सिंह ढिल्लों, प्रो. अशोक भाटिया व डा. सुभाष मानसा ने इस परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए लेखक संगठनों की एकजुटता व इनकी निरंतर सक्रियता पर बल दिया।

इस सत्र का संचालन हरियाणा प्रलेस के महासचिव डा. हरविंदर सिंह सिरसा ने किया। हरियाणा प्रलेस के वित्त सचिव प्रो. गुरदेव सिंह देव द्वारा संचालित आगामी सत्रों में डा. हरविंदर सिंह सिरसा द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को पारित किए जाने उपरांत हरियाणा के वरिष्ठ लेखकों प्रो. अमृत लाल मदान, डा. रमेश कुमार, डा. रतन सिंह ढिल्लों, डा. अशोक भाटिया, प्रो. सुरिंदर सिंह ओबराय, प्रो. आर पी सेठी ‘कमाल’, का. स्वर्ण सिंह विर्क व प्रो. हरभगवान चावला के संरक्षण में आगामी तीन वर्षों के लिए सर्वसम्मति से गठित प्रलेस हरियाणा राज्य कार्यकारिणी में डा. सुभाष मानसा को अध्यक्ष; डा. पाल कौर को वरिष्ठ उपाध्यक्ष; तनवीर जाफरी, अरकमल कौर, डा. अनिल ख्याल ‘अत्री’ व परमानंद शास्त्री को उपाध्यक्ष, डा. हरविंदर सिंह सिरसा को महासचिव; सुरजीत सिरड़ी, राजिंदर कौर व डा. कुलविंदर सिंह पदम को सचिव; प्रो. गुरदेव सिंह देव व सुरजीत सिंह रेणू को वित्त सचिव; डा. गुरप्रीत सिंह सिंधरा व डा. करनैल चंद को प्रैस सचिव एवं प्रो. एस ज़ैड नक़वी, तरलोचन सिंह बल व डा. शेर चंद को संगठन सचिव चुना गया। डा. प्रदीप स्नेही, डा. परमजीत कौर, डा. हरमीत कौर, डा. हरविंदर कौर, प्रो. दिलराज सिंह, सरबजीत सिंह, गुरदीप इमरोज़, गीता गीतांजली, डा. अतुल यादव, बलजीत कौर, डा. बलविंदर सिंह, दीपक वोहरा, गुरतेज सिंह बराड़ एडवोकेट, अरवेल सिंह विर्क, रमेश शास्त्री, सुरेश बरनवाल, अनीश कुमार व अमनदीप सिंह को कार्यकारिणी सदस्य मनोनीत किया गया। इस अवसर पर हरियाणा में प्रगतिशील साहित्यिक सामाजिक आंदोलन के अग्रज प्रणेता, चिंतक एवं शिक्षाविद डा. जे एस यादव व वरिष्ठ साहित्यकार सी आर मौदगिल की स्मृति में आयोजित काव्य-गोष्ठी में डा. रतन सिंह ढिल्लों, डा. अशोक भाटिया, तनवीर जाफ़री, प्रो. गुरदेव सिंह देव, तरलोचन सिंह बल, डा. गुरप्रीत सिंह सिंधरा, डा. अनिल ख्याल अत्री, डा. कुलदीप सिंह दीप, प्रो. बलविंदर चहल, हरपाल, जयपाल, जटिल, डा. अतुल यादव, डा. अरुण कैहरवा, गुरतेज सिंह बराड़, सुरजीत सिरड़ी, सुरेश बरनवाल, डा. कुलविंदर सिंह पदम, राजिंदर कौर, अनीश कुमार इत्यादि ने कविता पाठ किया। प्रतिनिधि सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में हरियाणा सरकार के साहित्य अकादमियों के संबंध में लिए गए निर्णय को खारिज़ करते हुए राज्य में साहित्य अकादमियों की पूर्व स्थिति को तुरंत बहाल किए जाने की मांग की गई। प्रतिनिधि सम्मेलन के समापन पर डा. सुभाष मानसा ने सभी उपस्थितजन के प्रति आभार व्यक्त किया।

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