
अब अधिकारिक रूप से नाम आगे लिखेंगे डाक्टर
भिवानी 13 नवंबर – हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला द्वारा पंडित लख्मीचंद सम्मान से विभूषित और अंग्रेजी की विश्व प्रसिद्ध सबसे ज्यादा कविताओं को हरियाणवी में अनुवादित करने पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाने वाले भिवानी के चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय में कार्यरत हरियाणवी कवि एवं साहित्यकार वी.एम.बेचैन को बिहार के भागलपुर स्थित विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ द्वारा विधावाचस्पति की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया है।
यह सम्मान गत अप्रैल माह में विधापीठ द्वारा मांगी गई प्रविष्ठियों के मध्य नजर प्रदान किया गया है। शिक्षाविद्ध एवं साहित्यकार डॉ मनोज भारत ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ के कुलाधिपति डा. सुमन भाई मानस भूषण, कुलपति डॉ तेज नारायण कुशवाहा और कुलसचिव डॉ देवेंद्र नाथ साह द्वारा यह सम्मान वीएम बेचैन को उनकी सुदीर्घ हिंदी सेवा, सारस्वत साधना,कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों, शैक्षणिक प्रदेयों, महनीय शोधकार्य तथा राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के आधार पर एवं विधापीठ की अकादमिक परिषद् की अनुशंसा पर प्रदान किया गया है। उन्होंने बताया कि बिहार राज्य सरकार द्वारा प्रमाणित संस्था विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर ने के माध्यम से वीएम बेचैन को मानद उपाधि के रूप में इतना बड़ा सम्मान मिलना बहुत गौरव की बात है। इस मानद उपाधि के सम्मान प्रमाणपत्र पश्चात वीएम बेचैन अब अधिकारिक रूप से साहित्यिक एवं सामाजिक प्रतिष्ठा के मध्य नजर अपने नाम के साथ डाक्टर शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस शानदार उपलब्धि पर स्थानीय हनुमान ढाणी स्थित भारत शिक्षा सदन में सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जिसमें विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ द्वारा प्रदत्त विधावाचस्पति सम्मान पत्र, एक शाल और पुष्प माला प्रदान की गई।इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ बिजेंद्र गाफिल, डा. विकास यशकिर्ति, अनिल वत्स, महेंद्र सागर और आचार्य विनोद कुमार मुख्य रूप से उपस्थित रहे। डा.बेचैन को देश भर से संदेश प्राप्त हो रहे हैं। गौरतलब होगा कि डा बेचैन पिछले ढाई दशकों से हरियाणवी साहित्य, संस्कृति की सेवा कर रहे और बोली को भाषा का दर्जा मिले इसके नित नए प्रयोग करते रहते हैं। अभी तक वीएम बेचैन पांच भाषाओं अंग्रेजी, संस्कृत,पंजाबी, हिन्दी और उर्दू के प्रसिद्ध कवि साहित्यकारों को हरियाणवी में अनुवादित कर चुके हैं। अभी हाल में ही श्रीमद् भगवद्गीता को उनके द्वारा अनुवादित किया गया है । म्हारा गीता म्हारा ज्ञान पुस्तक के रूप में जल्द ही पुस्तक पाठकों के हाथ में होगी।
*फोटो- विधावाचस्पति की मानद उपाधि मिलने पर बेचैन को सम्मानित करते भिवानी के साहित्यकार।*