Home News Point हिंदी केवल एक भाषा नही है हिंदी समरसता है, संस्कार है, प्रेम है व माँ सरस्वती की उपासना है :-सुजाता सचदेवा

हिंदी केवल एक भाषा नही है हिंदी समरसता है, संस्कार है, प्रेम है व माँ सरस्वती की उपासना है :-सुजाता सचदेवा

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हिंदी उन भाषाओं में शुमार है जो दुनिया में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाती हैं। महात्मा गांधी ने कहा था कि हिंदी जनमानस की भाषा है और इसे देश की राष्ट्रभाषा बनाने की सिफारिश भी की थी। हिंदी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा का दर्जा दिया गया,

लिहाज़ा इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान सभा ने देवनागरी लिपि वाली हिंदी के साथ ही अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया, लेकिन 1949 में आज ही के दिन संविधान सभा ने हिंदी को ही भारत की राजभाषा घोषित किया। हालांकि पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया। ये शब्द एचपीएस सीनियर सेकंडरी स्कूल की शिक्षा निदेशिका सुजाता सचदेवा ने हिन्दी डीवीएस पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार वितरण समारोह पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहे|

उन्होंने कहा कि ऊँच नीच को नहीं मानती हमारी “हिन्दी” इसमे कोई कपिटल अर्थात बड़े अक्षर या समाल लेटर अर्थात छोटे अक्षर नहीं होता है, और हाँ आधे अक्षर को भी सहारा के लिए देने के लिए पूरा अक्षर हमेशा तैयार रहता है।

अंग्रेज़ी के तो अक्षर भी, साइलेंट हो जाते हैं, और हमारी हिंदी की तो बिंदी भी बोलती है!!

हिंदी जैसा कुछ नही ये केवल एक भाषा नही है हिंदी समरसता है, संस्कार है, प्रेम है व माँ सरस्वती की उपासना है।।

विद्यालय निदेशक एवं प्रिंसिपल आचार्य रमेश सचदेवा ने विद्यार्थियों को हिन्दी व्याकरण कि गहन जानकारी देते हुए बताया कि वर्णमाला में अ, आ, ओ, औ, अं, अ:, थ, ध, भ आदि स्वरों और व्यंजनों पर शिरो रेखा क्यूँ नहीं आती| उन्होंने बताया ड़ व ढ़ व्यंजनों, अनुस्वार और अनुनासिक के हिन्दी वर्णमाला में उचित प्रयोग के बारे में बताया| इसी प्रकार मुहावरों के जानकारी देते हुए विद्यार्थियों कि बताया कि धोबी का कुत्ता, ना घर का ना घाट का, नहीं होता बल्कि धोबी का कुतका, ना घर का ना  घाट का होता है| उन्होंने हिन्दी कि वर्तमान स्थिति के मद्देनजर इन पक्तियों से अपने उद्गार व्यक्त किए

मेरे ज़ख्मो को ख़ुद समझो , जुबानी क्या कहूँ अपनी,

मैं अपनों की सतायी हूँ, कहानी क्या कहूँ  अपनी,

मैं हिंदी हूँ, मुझे सब भूल बैठे है-2

शिलालेखों में बस मिलती, निशानी क्या कहूँ अपनी ||

हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सुलेख प्रतियोगिता में कक्षा एलकेजी में क्रमश: अमानत, हनविता, अमन सिंह ने, यूकेजी में दक्ष, मनताज वीर, मानवी, प्रथम कक्षा में जसकिरत, मनत, रीतिश तथा द्वितीय कक्षा में गुरनूर, प्रशांत व खुशी ने प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया| तृतीय कक्षा से पाँचवीं कक्षा की स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में तृतीय कक्षा कि कृतिका कंबोज, पंचम कक्षा की सोनाक्षी व हर्षवर्धन ने प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया|

छटी कक्षा से आठवीं तक कि कक्षाओं कि लेखन प्रतियोगिता में सातवीं कक्षा कि अनिशा, वर्षा तथा आठवीं कि सोफिया ने प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया|

नौवीं से बाहरवीं कक्षाओं कि कविता पाठ प्रतियोगिता में दसवीं कक्षा की रीतिका, तनिशा मित्तल, और  नौवीं की नवजोत कौर ने प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया|

इन सभी प्रतियोगिताओं में हिन्दी कि विभागाध्यक्षा मोनिका गर्ग के मार्गदर्शन में सुमन रानी, पूजा रानी, निशा रानी, परमजीत कौर, सपना, शैली शर्मा, शोबिका, ज्योति, मोनिका सचदेवा, पायल सोनी, राजनदीप कौर, अमनदीप कौर, मनवीन्द्र कौर, गुरप्रीत सिंह, नवदीप सिंह, रजनी गर्ग, रजनी शर्मा, अजय वधावन ने निर्णायक मण्डल की भूमिका निभाई|

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