Home News Point साक्षरता शिक्षा का प्रवेश द्वार है, जो निरक्षर को समर्थ व सशक्‍त बनाती है ताकि वे सामाजिक जीवन में प्रभावी ढंग से भाग ले सके:-रमेश सचदेवा।

साक्षरता शिक्षा का प्रवेश द्वार है, जो निरक्षर को समर्थ व सशक्‍त बनाती है ताकि वे सामाजिक जीवन में प्रभावी ढंग से भाग ले सके:-रमेश सचदेवा।

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पढ़ो किताब लिखो किताब ..ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद ।।

हरियाणा पब्लिक स्कूल में हुई विचार गोष्ठी…..

साक्षरता शिक्षा का प्रवेश द्वार है, जो निरक्षर को समर्थ व सशक्‍त बनाती है ताकि वे सामाजिक जीवन में प्रभावी ढंग से भाग ले सके। साक्षरता से आशय पढ़ना लिखना एंव साधारण अंक गणित का ज्ञान जिस व्‍यकित को आता है वह ‘साक्षर’ कहलाता है।

ये शब्द एचपीएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल के निदेशक व प्रिंसिपल आचार्य रमेश सचदेवा ने विश्व साक्षरता दिवस पर आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता के अवसर पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहेl
उन्होंने कहा कि युनेस्‍को 1976 के अनुसार, “वह व्‍यकित जो अपने दैनिक जीवन से संबंधित तथ्‍यों से संबंध रखने वाले छोटे तथा सरल विवरण न लिख सकता हो, न पढ़ सकता हो और न समझ सकता हो निरक्षर है।”

किसी भी देश की सामाजिक आर्थिक सांस्‍कृतिक राजनैतिक और तकनीकी उन्‍नति इस तथ्‍य पर निर्भर करती है कि वहां के नागरिक किस सीमा तक शिक्षित है तथा शिक्षा के माध्‍यम से अपने व्‍यवसाय में कितनी उन्‍नति करते हैं ।

प्रत्येक वर्ष 8 सितंबर को दुनियाभर में विश्व साक्षरता पर ज़ोर देने के लिए इसे विश्‍व भर में मनाया जाता है। विश्व साक्षरता दिवस को मनाने का प्रमुख कारण व्यक्तिगत, सामुदाय और समाज से साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना है।

साक्षरता न केवल लोगों को बेहतर जीवन जीने में मदद करती है बल्कि ग़रीबी उन्मूलन, जनसंख्या को नियंत्रित करने, बाल मृत्यु दर को कम करने आदि में भी मदद करती है। यह दिन लोगों को बेहतर शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है।

इस अवसर पर शिक्षा मात्र आय का साधन नहीं विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित किया गया| इस विषय के पक्ष में तनिशा ने तथा विपक्ष में जश्नवीर कौर ने बड़े ही भावात्मक तर्क प्रस्तुत किए| जिसके अंत में दोनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव विकास और समाज के लिए उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता जरूरी है यह केवल मात्र शिक्षा आय का साधन नहीं है| जब तक यह शिक्षा आय का साधन नहीं थी तब तक भारत जगद्गुरु कहलाता था| इसलिए शिक्षा कदापि आय का साधन सिद्ध नहीं होनी चाहिए जैसा कि वर्तमान में बन चुकी है|

इस अवसर पर नटखट संस्था की ओर से चेष्ठा, शिवानी, तनिशा, रिंकल,  विशेष, हर्षित, तनिशा मित्तल ने विद्यालय के सभी सफाई सेवकों, सेवादारों, चालकों व परिचालकों को शिक्षा के महत्व के बारे में बताया और कहानियों कि पुस्तकें पढ़ने के लिए भेंट की|

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