Home News Point कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित रत्नावली 2023 समारोह उत्साह एवं उल्लास के साथ संपन्न हुआ

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित रत्नावली 2023 समारोह उत्साह एवं उल्लास के साथ संपन्न हुआ

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उत्साह एवं उल्लास का महाकुंभ रत्नावली में बहुत कुछ पहली बार हुआ…


*चार दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव में 3 हजार से अधिक कलाकारों ने किया धमाल

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित रत्नावली 2023 समारोह उत्साह एवं उल्लास के साथ संपन्न हुआ। सभी आयोजक टीमों एवं कलाकारों को इस सफल आयोजन हेतु हार्दिक बधाई। कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के नेतृत्व में आयोजित रत्नावली समारोह अपने आप में एक ऐसा यादगार समारोह रहा जिसके माध्यम से हरियाणवी संस्कृति की महक वैश्विक स्वरूप में देखने को मिली। विश्वविद्यालय के इतिहास में रत्नावली का उद्घाटन पहली बार किसी विख्यात कलाकार राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत मामन खां ने किया। पहली बार हरियाणवी रागनी एवं कत्थक नृत्य की जुगलबंदी देखने को मिली।

पहली बार ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में जन्मी कायरा ने विश्वविद्यालय के मंच पर हरियाणवी नृत्य प्रस्तुत किया। जाने-माने फिल्मी अभिनेता जयदीप अहलावत पहली बार रत्नावली समारोह में शामिल हुए। पहली बार रत्नावली के मंच पर 35 से अधिक गायन शैलियों का लाईव प्रसारण हुआ। इन शैलियों में आल्हा, बहरेतबील, सोहणी, सांग का चमौला, सवईया, थानेसरी चमौला, पानपती चमौला, हाथरसी चमौला, राधे-श्याम, बारहमासा, गंगा स्तुति, उलटबांसी, कड़ी, दौड़, परापैड़, धूमदार धुन, तूड़, झूलणा, निहालदे, शाका, अलीबखश, मंगलाचरण, लावणी, सर्राफा, डोला, भेंट आदि की प्रस्तुति हुई। पहली बार लूर नृत्य प्रतियोगिता के रूप में शामिल किया गया। पहली बार हरियाणवी फैशन शो प्रतियोगी विधा के रूप में प्रस्तुत हुई, जिसमें 40 से अधिक प्रतिभागियों ने हरियाणवी लोक परिधान के नवीन स्वरूप को प्रस्तुत किया। पहली बार ऑस्ट्रेलिया से एसोसिएशन ऑफ हरियाणवीज इन ऑस्ट्रेलिया का डेलिगेशन सेवा सिंह एनआरआई के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में रत्नावली में भाग लेने के लिए पहुंचा। पहली बार किसी देश ऑस्ट्रेलिया का स्टॉल रत्नावली में लगाया गया। पहली बार फिल्मी अभिनेता सुधीर पांडेय रत्नावली समारोह में पहुंचे। पहली बार सबसे अधिक 71 संस्थानों ने प्रतिभागिता जताते हुए रत्नावली के मेले में खूब रंग जमाए। पहली बार महाराजा हर्षवर्धन द्वारा रचित रत्नावली नाटक का हिंदी, हरियाणवी नाटक में अनुवाद करते हुए रत्नावली किस्सा सांग सूरज बेदी द्वारा मंच पर प्रस्तुत किया गया। पहली बार गजेन्द्र चौहान महाभारत के युधिष्ठर रत्नावली समारोह में भाग लेने के लिए पहुंचे।

पहली बार जींद के कलाकार गौत्तम द्वारा 24 फुट की सांझीनुमा रत्नावली धरोहर के सामने स्थापित की गई। पहली बार 7 से अधिक सेल्फी प्वाईंट् स्थापित किए गए जिन पर सेल्फी लेने वालों का मजमा जमा रहा। पहली बार स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सहसंगठक माननीय सतीश जी रत्नावली समारोह में शामिल होकर स्वदेशी अभियान की तारीफ की। पहली बार हरियाणवी वंदना रत्नावली में प्रस्तुत की गई। पहली बार हरियाणवी बैंड का प्रदर्शन रत्नावली के मंच पर हुआ, जो अगले साल प्रतियोगिता का हिस्सा होगा। पहली बार स्वदेशी मेला एवं हस्तशिल्प मेले में भाग लेने वाले छात्रों की सेल लाखों क्रॉस कर गई। पहली बार रिटायरमेंट होने के बाद पूर्व निदेशक अनूप लाठर बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए और उन्होंने कहा कि जितनी बड़ी रत्नावली मैं छोड़ कर गया था उससे 10 गुणा बड़ी रत्नावली हो चुकी है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया, यूके, कनाडा, पिलिपिनश आदि देशों में ए.एच.ए. द्वारा रत्नावली का लाईव प्रदर्शन किया गया। पहली बार संगीतमय हरियाणा दर्शन के माध्यम से कलाकारों ने ऐसा समा बांधा कि जयदीप अहलावत को भी कहना पड़ा कि कौन कहता है हरियाणवी होने पर गर्व नहीं होता। पहली बार रत्नावली में 15 से अधिक मेहमानों का आना किसी गरिमा से कम नहीं है। पहली बार सोलह से अधिक महिलाओं ने जन्म से मृत्युपर्यंत संस्कारों के गीतों के माध्यम से धमौड़ा मंच पर खूब धमाल किया। पहली बार 55 से अधिक स्टॉल रत्नावली में स्वदेशी कौशल एवं हस्तशिल्प के माध्यम से प्रस्तुत किए गए। भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुदेश छिक्कारा पहली बार रत्नावली समारोह में बतौर अतिथि शामिल हुई। पहली बार रत्नावली में मंच संचालन करते हुए छात्र-छात्राओं ने जय रत्नावली… जय-जय रत्नावली… के संवाद को स्थापित किया। मित्रों, इस प्रकार रत्नावली में पहली बार बहुत कुछ हुआ। कलाकारों के इस समागम में हरियाणवी संस्कृति का ऐसा स्वरूप देखने को मिला संभवत: हरियाणा के किसी उत्सव में न देखा गया हो। रत्नावली का यह सिलसिला निरंतर चलता रहे। संस्कृति का महाकुंभ निरंतर लगता रहे। संस्कृति के इस उत्सव में विधाओं का इजाफा सदैव होता रहे, ऐसी मेरी कामना है क्योंकि रत्नावली अब रत्नावली न रहकर ब्रैंड बन चुका है।

रत्नावली ब्रैंड ही हरियाणवी संस्कृति का परिचायक है। रत्नावली समारोह को कामयाब बनाने में जिन टीमों, साथियों, कलाकारों, मीडिया के साथियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग हार्दिक आभार व्यक्त करता है। रत्नावली उत्सव.. युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग का नहीं, विश्वविद्यालय का नहीं, हरियाणा का नहीं अपितु भारत की गरिमा का परिचायक बन चुका है। जय रत्नावली… जय-जय रत्नावली…

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