प्रेम……. इक शब्द हज़ार अर्थ सेंकडो भाव और है सरल पर होता नही उमड़ता है जरूरत के लिए लेकिन कही आपने से दूर तेज आंधी में कभी कभी कोईप्रेम का दिया जलता हैतो लगता है प्रेम इबादत है भक्ति है मस्ती है तू ही तू की बसयार खुदा है …….इसलिए कुछ लोग उनसे प्रेम करते है जिसको कभी देखा भी …