मैं इस पार हूँ तू उस पार पास पास रह कर भी है है हम दोनों में इक दीवार दीवार सब को दिखाई नही देती है लेकिन दीवारो के भी कान होते है जो कच्चे है सिर्फ सुनते है ये तकसीम सी ज़िन्दगी हिसाब की कोई किताब है जो खुल जाती है यकायक बस सबको सबका हिस्सा और ब्याज मिलता …